भारतीय संविधान में Article 12 in Hindi राज्य की परिभाषा देता है। इसमें बताया गया है कि ‘राज्य’ का अर्थ सरकार और संसद, राज्य विधानमंडल, केंद्र और राज्य सरकारों के सभी प्रशासनिक और कार्यकारी अंग, और स्थानीय प्राधिकरणों जैसे नगरपालिका, पंचायत, आदि से है। इसके अलावा, यह उन सभी अन्य प्राधिकरणों को भी शामिल करता है जो संविधान के तहत या किसी अन्य कानून के तहत स्थापित हैं।
अनुच्छेद 12 का महत्व:
- मौलिक अधिकारों की रक्षा: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करता है। यह राज्य के कार्यों को मौलिक अधिकारों के अनुसार सीमित करता है और नागरिकों को अपने अधिकारों के उल्लंघन पर न्यायिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- कानूनी जिम्मेदारी: यह अनुच्छेद राज्य को कानूनी रूप से उत्तरदायी बनाता है, और यह सुनिश्चित करता है कि राज्य के सभी अंग मौलिक अधिकारों का सम्मान करें और उनका उल्लंघन न करें।
- संवैधानिक व्यवस्था: अनुच्छेद 12 संविधान में अन्य अनुच्छेदों के साथ मिलकर कार्य करता है, ताकि एक संतुलित और न्यायसंगत शासन प्रणाली स्थापित की जा सके, जिसमें राज्य का दायित्व और नागरिकों के अधिकारों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
- Definition of Article 12 in Hindi
- Purpose of Article 12 in the Constitution
- Scope of “State” under Article 12 in Hindi
- Entities Covered under Article 12 in Hindi
- Role of Judiciary in Article 12 in Hindi
- Article 12 in Hindi and Fundamental Rights
- Landmark Judicial Decisions
- Historical Development of Article 12 in Hindi
- Frequently Asked Question (FAQs)
Definition of Article 12 in Hindi
अनुच्छेद 12 की परिभाषा (Definition of Article 12)
- राज्य की परिभाषा: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 भारतीय संविधान में राज्य की परिभाषा प्रस्तुत करता है, जो संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों के अनुपालन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
- संविधान के अंतर्गत: यह स्पष्ट करता है कि “राज्य” शब्द संविधान के तहत बनाए गए सभी संस्थानों और निकायों को सम्मिलित करता है।
- मौलिक अधिकारों का संरक्षण: अनुच्छेद 12 का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के सभी अंग मौलिक अधिकारों का पालन करें और उन्हें उल्लंघित न करें।
- राज्य के अंग: इसमें संघीय और राज्य सरकार, संसद, विधानमंडल, और स्थानीय प्राधिकरण शामिल हैं।
- अन्य प्राधिकरण: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ में अन्य प्राधिकरण भी शामिल होते हैं जो कानून के अंतर्गत कार्य करते हैं।
- न्यायिक नियंत्रण: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 राज्य की गतिविधियों पर न्यायिक नियंत्रण को सुनिश्चित करता है, ताकि नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
“राज्य” की परिभाषा (Definition of “State”)
- केंद्र और राज्य सरकारें: राज्य की परिभाषा में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को शामिल किया गया है।
- संसद और विधानमंडल: ‘राज्य’ में भारतीय संसद और राज्य विधानसभाएं भी शामिल हैं।
- स्थानीय प्राधिकरण: नगरपालिका, पंचायत, और अन्य स्थानीय निकाय भी ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं।
- प्रशासनिक और कार्यकारी अंग: राज्य के कार्यकारी और प्रशासनिक अंग भी इसमें शामिल होते हैं।
- संवैधानिक प्राधिकरण: सभी संवैधानिक प्राधिकरण, जो संविधान के तहत स्थापित होते हैं, ‘राज्य’ का हिस्सा माने जाते हैं।
Purpose of Article 12 in the Constitution
संविधान में अनुच्छेद 12 का उद्देश्य (Purpose of Article 12 in the Constitution)
- राज्य की परिभाषा का स्पष्टिकरण: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 का मुख्य उद्देश्य संविधान में ‘राज्य’ की परिभाषा को स्पष्ट करना है, जिससे यह तय हो सके कि किन संस्थानों पर मौलिक अधिकारों के प्रावधान लागू होंगे।
- मौलिक अधिकारों का प्रवर्तन: यह अनुच्छेद सुनिश्चित करता है कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं को ‘राज्य’ के रूप में पहचाना जा सके और उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सके।
- संवैधानिक दायित्व का निर्धारण: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 का उद्देश्य राज्य को संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का पालन करने के लिए बाध्य करना है।
- न्यायिक समीक्षा का आधार: अनुच्छेद 12 राज्य के कार्यों की न्यायिक समीक्षा का आधार प्रदान करता है, जिससे अदालतें राज्य द्वारा मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की जांच कर सकें।
- संवैधानिक संरचना का हिस्सा: यह अनुच्छेद संविधान की संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नागरिकों के अधिकारों और राज्य की जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
- राज्य के सभी अंगों की जिम्मेदारी: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 राज्य के सभी अंगों, चाहे वे केंद्र सरकार हों, राज्य सरकार हों, या स्थानीय निकाय हों, को मौलिक अधिकारों के अनुपालन के लिए उत्तरदायी बनाता है।
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा (Protection of Fundamental Rights)
- राज्य के दायित्व: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 राज्य को मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार बनाता है, जिससे नागरिक अपने अधिकारों का पूर्ण लाभ उठा सकें।
- न्यायिक संरक्षण: यदि राज्य किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो नागरिक न्यायालय में इसकी शिकायत कर सकते हैं और न्यायिक संरक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
- अधिकारों का प्रवर्तन: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 के माध्यम से मौलिक अधिकारों का प्रवर्तन संभव होता है, जिससे राज्य के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
- समानता का अधिकार: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 यह सुनिश्चित करता है कि राज्य के सभी अंग संविधान के भाग III में दिए गए समानता के अधिकार का पालन करें।
- स्वतंत्रता की सुरक्षा: राज्य को अनुच्छेद 12 के तहत नागरिकों की स्वतंत्रता का संरक्षण करना आवश्यक होता है।
Scope of "State" under Article 12 in Hindi
“राज्य” की व्यापकता (Scope of “State” under Article 12)
1. सरकार और उसके अंग (Government and Its Organs):
- केंद्र सरकार: Article 12 in Hindi अनुच्छेद 12 के तहत, केंद्र सरकार ‘राज्य’ की परिभाषा में आती है, जिसमें उसके सभी प्रशासनिक और कार्यकारी अंग शामिल होते हैं।
- राज्य सरकार: राज्य सरकारें भी ‘राज्य’ के अंतर्गत आती हैं, और उनके सभी विभाग और संस्थाएं इस परिभाषा में शामिल होते हैं।
- संसद: भारतीय संसद, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं, ‘राज्य’ की परिभाषा के तहत आती है।
- विधानसभाएं: राज्य विधानसभाएं और विधान परिषदें भी ‘राज्य’ का हिस्सा हैं और इन पर मौलिक अधिकारों के प्रावधान लागू होते हैं।
- कार्यपालिका: राज्य की कार्यपालिका, जिसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और उनके अधीनस्थ सभी अधिकारी शामिल हैं, अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ मानी जाती है।
2. अन्य संस्थान (Other Institutions):
- स्थानीय निकाय: नगर निगम, पंचायत, जिला परिषद, और अन्य स्थानीय निकाय ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं, क्योंकि ये संविधान या विधिक प्रावधानों के तहत स्थापित होते हैं।
- विश्वविद्यालय: सरकारी विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान, जो राज्य के अधीन कार्य करते हैं, ‘राज्य’ माने जाते हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम: सरकारी स्वामित्व वाले उपक्रम, जैसे कि बीएसएनएल, एअर इंडिया, और भारतीय स्टेट बैंक, अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं।
- विधिक संस्थान: वे संस्थान और निकाय, जो विधिक प्रावधानों के तहत स्थापित होते हैं और सार्वजनिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, ‘राज्य’ माने जाते हैं।
- आयोग और बोर्ड: राज्य और केंद्र सरकार द्वारा स्थापित आयोग, जैसे मानव अधिकार आयोग, अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग, आदि ‘राज्य’ के अंतर्गत आते हैं।
- नियामक निकाय: सेबी, आरबीआई, और अन्य नियामक निकाय, जो विधिक प्रावधानों के तहत स्थापित होते हैं और सार्वजनिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं, ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल होते हैं।
- स्वायत्त निकाय: वे स्वायत्त निकाय जो राज्य के अधीन कार्य करते हैं और जिन्हें सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, ‘राज्य’ के अंतर्गत आते हैं।
Entities Covered under Article 12 in Hindi
अनुच्छेद 12 के अंतर्गत आने वाले अंग (Entities Covered under Article 12)
1. केंद्र और राज्य सरकारें (Central and State Governments):
- केंद्र सरकार: केंद्र सरकार, जिसमें प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद, और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालय शामिल होते हैं, अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं। इसके तहत सभी केंद्रीय सरकारी विभाग और एजेंसियां शामिल होती हैं।
- राज्य सरकार: राज्य सरकारें, जिनमें मुख्यमंत्री, राज्य मंत्रिपरिषद, और राज्य के विभिन्न विभाग शामिल होते हैं, भी ‘राज्य’ की परिभाषा में आती हैं। यह राज्य के सभी प्रशासनिक और कार्यकारी अंगों पर लागू होता है।
- संसद: भारतीय संसद, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों शामिल हैं, ‘राज्य’ मानी जाती है। संसद के सभी निर्णय और क्रियाएँ अनुच्छेद 12 के दायरे में आते हैं।
- विधानसभाएं: राज्य विधानसभाएं और विधान परिषदें, जो राज्य स्तर पर कानून बनाने का कार्य करती हैं, ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल हैं। इनके द्वारा बनाए गए कानून और नीतियाँ भी अनुच्छेद 12 के अंतर्गत आती हैं।
- कार्यपालिका: केंद्र और राज्य की कार्यपालिका, जिसमें राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, और अन्य कार्यकारी अधिकारी शामिल होते हैं, अनुच्छेद 12 के अंतर्गत ‘राज्य’ मानी जाती है।
- न्यायपालिका: उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय, जब वे न्यायिक नहीं बल्कि प्रशासनिक कार्य करते हैं, तब ‘राज्य’ के अंतर्गत माने जाते हैं।
- रक्षा और पुलिस बल: भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना, और पुलिस बल जो केंद्र और राज्य सरकारों के अधीन होते हैं, ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं।
2. स्थानीय प्राधिकरण (Local Authorities):
- नगर पालिकाएं: नगर निगम, नगर पालिका, और नगर परिषद जैसे शहरी स्थानीय निकाय ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं और इन पर संविधान के अनुच्छेद 12 के प्रावधान लागू होते हैं।
- पंचायतें: ग्राम पंचायत, तालुका पंचायत, और जिला पंचायत जैसे ग्रामीण स्थानीय निकाय भी ‘राज्य’ माने जाते हैं। इन पर संविधान के अनुच्छेदों का पालन करना अनिवार्य है।
- विकास प्राधिकरण: विभिन्न शहरी और ग्रामीण विकास प्राधिकरण, जैसे दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) या राज्य के विकास प्राधिकरण, ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं।
- स्थानीय शैक्षणिक संस्थान: वे शैक्षणिक संस्थान जो स्थानीय निकायों द्वारा स्थापित या नियंत्रित होते हैं, जैसे कि नगरपालिका स्कूल, ‘राज्य’ के अंतर्गत माने जाते हैं।
- जल और सीवेज बोर्ड: नगर निकायों द्वारा संचालित जल बोर्ड और सीवेज बोर्ड भी ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं, क्योंकि ये सार्वजनिक सेवाओं का संचालन करते हैं।
Role of Judiciary in Article 12 in Hindi
- मौलिक अधिकारों का संरक्षण: न्यायपालिका का प्रमुख कार्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है। जब भी राज्य द्वारा इन अधिकारों का उल्लंघन होता है, न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है।
- संविधान की व्याख्या: न्यायपालिका संविधान की व्याख्या करती है और यह सुनिश्चित करती है कि सरकार और उसके अंग संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करें।
- न्यायिक समीक्षा: न्यायपालिका को यह अधिकार है कि वह सरकार के कार्यों और कानूनों की समीक्षा करे और यह तय करे कि क्या वे संविधान के अनुरूप हैं या नहीं।
- संवैधानिकता की जांच: न्यायपालिका सरकार द्वारा बनाए गए किसी भी कानून या नीति की संवैधानिकता की जांच कर सकती है और उसे अमान्य घोषित कर सकती है यदि वह संविधान के खिलाफ हो।
- न्यायिक सक्रियता: न्यायपालिका ने कई मौकों पर न्यायिक सक्रियता का प्रदर्शन किया है, जिसमें उसने सामाजिक न्याय और समानता के मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं।
- लोक हित याचिका (PIL): न्यायपालिका ने लोक हित याचिकाओं को स्वीकार करके सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं, जो सामान्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए होते हैं।
- संवैधानिक संतुलन बनाए रखना: न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने का कार्य करती है, ताकि कोई भी अंग अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न कर सके।
न्यायपालिका का स्वतंत्रता और अनुच्छेद 12 (Independence of Judiciary and Article 12):
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता: भारतीय संविधान न्यायपालिका को स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिससे वह निष्पक्ष और बिना किसी बाहरी दबाव के कार्य कर सके। यह स्वतंत्रता अनुच्छेद 12 के तहत राज्य के अन्य अंगों से अलग न्यायपालिका को परिभाषित करती है।
- न्यायपालिका का प्रशासनिक कार्य: अनुच्छेद 12 के तहत, न्यायपालिका के प्रशासनिक कार्यों को ‘राज्य’ माना जाता है, जबकि न्यायिक कार्यों को नहीं। इसका मतलब है कि न्यायिक निर्णयों पर मौलिक अधिकार लागू नहीं होते हैं।
- न्यायपालिका और मौलिक अधिकार: न्यायपालिका का प्रमुख कार्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के अन्य अंग मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करें। वह यह सुनिश्चित करती है कि अनुच्छेद 12 के तहत परिभाषित राज्य की संस्थाएं नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करें।
- स्वतंत्र न्यायिक समीक्षा: न्यायपालिका की स्वतंत्रता उसे सरकार के कार्यों की न्यायिक समीक्षा करने का अधिकार देती है, जिससे वह यह तय कर सके कि क्या राज्य ने अनुच्छेद 12 के तहत अपने दायित्वों का पालन किया है।
- न्यायपालिका की निगरानी: न्यायपालिका की स्वतंत्रता यह सुनिश्चित करती है कि राज्य के अन्य अंग उसके कामकाज में हस्तक्षेप न कर सकें। इसका मतलब है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को अनुच्छेद 12 के तहत संरक्षण प्राप्त है।
- संवैधानिक संरक्षक: न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना जाता है। अनुच्छेद 12 के तहत, वह यह सुनिश्चित करती है कि राज्य के सभी अंग संविधान के प्रावधानों का पालन करें।
- न्यायिक निर्णयों का प्रभाव: स्वतंत्र न्यायपालिका यह सुनिश्चित करती है कि उसके निर्णय सरकार और उसके अंगों पर बाध्यकारी हों, जिससे संविधान का पालन हो सके।
Article 12 in Hindi and Fundamental Rights
1. अनुच्छेद 12 का मौलिक अधिकारों पर प्रभाव (Impact of Article 12 on Fundamental Rights):
- राज्य की परिभाषा: अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा दी गई है, जो मौलिक अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।
- संवैधानिक जिम्मेदारी: अनुच्छेद 12 के अनुसार, राज्य के सभी अंगों (केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय प्राधिकरण, आदि) को मौलिक अधिकारों का सम्मान और संरक्षण करना होता है।
- मौलिक अधिकारों की सुरक्षा: अनुच्छेद 12 यह सुनिश्चित करता है कि राज्य के किसी भी अंग द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हो। यदि ऐसा होता है, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप कर सकती है।
- न्यायिक पुनरावलोकन: अनुच्छेद 12 की परिभाषा के कारण, न्यायालय मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में राज्य के कार्यों की न्यायिक समीक्षा कर सकता है।
- उपयोग की व्याप्ति: अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की व्यापक परिभाषा के कारण, नागरिक अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा अन्य सार्वजनिक संस्थानों के खिलाफ भी न्यायालय में जा सकते हैं।
2. अदालतों द्वारा अनुच्छेद 12 की व्याख्या (Judicial Interpretation of Article 12):
- भारत संघ बनाम एलएसटी नादराजन केस (1967): सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया कि राज्य के नियंत्रण वाले सभी संस्थान ‘राज्य’ माने जाएंगे, जिससे वे मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में जिम्मेदार ठहराए जा सकें।
- एससी गुप्ता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1986): इस मामले में कोर्ट ने ‘राज्य’ की परिभाषा को और विस्तृत करते हुए कहा कि कोई भी संस्था, जो राज्य के महत्वपूर्ण नियंत्रण में हो, उसे अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ माना जाएगा।
- अजीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस (1968): कोर्ट ने यह निर्धारित किया कि जो संस्थान संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित होते हैं, वे ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं और उन पर मौलिक अधिकार लागू होते हैं।
- केशवानंद भारती केस (1973): इस ऐतिहासिक फैसले में कोर्ट ने संविधान की मूल संरचना का सिद्धांत स्थापित किया और यह सुनिश्चित किया कि कोई भी कानून या कार्य जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, उसे अमान्य घोषित किया जा सकता है।
- एमसी मेहता बनाम भारत संघ (1987): इस फैसले में न्यायालय ने ‘राज्य’ की परिभाषा को और विस्तृत किया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत संस्थानों को भी ‘राज्य’ माना गया।
- राज्य बनाम रमेश ठाकुर केस (1976): कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सरकारी निगम, जो सार्वजनिक सेवाओं का निर्वहन करते हैं, ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं और उन पर मौलिक अधिकार लागू होते हैं।
Landmark Judicial Decisions
केस लॉ का विश्लेषण (Analysis of Case Law):
- भारत संघ बनाम एलएसटी नादराजन (1967):
- सार: इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि ‘राज्य’ की परिभाषा में केवल केंद्र और राज्य सरकारें ही नहीं, बल्कि राज्य के नियंत्रण में आने वाले संस्थान भी शामिल हैं।
- विश्लेषण: इस फैसले ने ‘राज्य’ की परिभाषा को व्यापक रूप से लागू किया और यह स्पष्ट किया कि सार्वजनिक उपक्रम, सरकारी निगम, और अन्य संस्थान भी अनुच्छेद 12 के तहत आते हैं।
2. अजीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1968):
- सार: इस मामले में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ‘राज्य’ की परिभाषा में आता है, क्योंकि इसे संसद के अधिनियम के तहत स्थापित किया गया है।
- विश्लेषण: यह निर्णय यह दर्शाता है कि किसी भी स्वायत्त निकाय को जो संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम के तहत स्थापित हो, उसे ‘राज्य’ के रूप में माना जा सकता है।
3. केशवानंद भारती बनाम भारत संघ (1973):
- सार: इस ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की मूल संरचना के सिद्धांत को मान्यता दी और कहा कि किसी भी संवैधानिक संशोधन के माध्यम से मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी।
- विश्लेषण: यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में ‘राज्य’ की परिभाषा का विस्तार किया जाएगा।
4. एमसी मेहता बनाम भारत संघ (1987):
- सार: इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने ‘राज्य’ की परिभाषा को और विस्तृत किया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत सरकारी और स्वायत्त निकाय भी शामिल किए गए।
- विश्लेषण: यह निर्णय सार्वजनिक हित और पर्यावरण संरक्षण के मामलों में ‘राज्य’ की जिम्मेदारी को स्पष्ट करता है।
5. प्रिती श्रीवास्तव बनाम राज्य (1999):
- सार: कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि राज्य द्वारा वित्तपोषित निजी शिक्षण संस्थान भी ‘राज्य’ के अंतर्गत आते हैं।
- विश्लेषण: यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि राज्य द्वारा वित्तपोषित और नियंत्रित निजी संस्थान भी मौलिक अधिकारों के दायरे में आते हैं।
Historical Development of Article 12 in Hindi
संविधान सभा की बहस (Constituent Assembly Debates):
- प्रस्तावना और परिभाषा: अनुच्छेद 12 की शुरुआत में, संविधान सभा के सदस्यों ने ‘राज्य’ की परिभाषा पर चर्चा की। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता थी कि यह परिभाषा व्यापक हो ताकि मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की जा सके।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर का दृष्टिकोण: संविधान सभा की बहस में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने यह स्पष्ट किया कि ‘राज्य’ की परिभाषा में केवल केंद्र और राज्य सरकारें ही नहीं, बल्कि स्थानीय प्राधिकरण और सरकारी नियंत्रण में आने वाले संस्थान भी शामिल होंगे। यह परिभाषा मौलिक अधिकारों के व्यापक संरक्षण के लिए आवश्यक थी।
- सामाजिक न्याय की चिंता: संविधान सभा की बहस में समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा पर जोर दिया गया। ‘राज्य’ की परिभाषा को विस्तार देते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई कि किसी भी सरकारी निकाय या संस्था द्वारा मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।
- स्वतंत्रता और नियंत्रण: संविधान सभा में यह मुद्दा भी उठाया गया कि सरकारी निकायों और सार्वजनिक संस्थानों को स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए, लेकिन उनकी जिम्मेदारी भी होनी चाहिए कि वे मौलिक अधिकारों का सम्मान करें।
- संबंधित सुझाव और संशोधन: संविधान सभा में अनुच्छेद 12 के प्रारूप पर विभिन्न सुझाव और संशोधन प्रस्तुत किए गए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी हो।
समय के साथ अनुच्छेद 12 का विकास (Evolution of Article 12 Over Time):
- प्रारंभिक व्याख्या (1950-1960): प्रारंभिक वर्षों में, अनुच्छेद 12 की व्याख्या सीमित थी और इसका ध्यान मुख्य रूप से केंद्र और राज्य सरकारों तक ही सीमित था। इसके तहत केवल सीधे सरकारी संस्थान ही शामिल किए गए थे।
- विस्तारित परिभाषा (1960-1970): न्यायालयों ने ‘राज्य’ की परिभाषा को विस्तारित करना शुरू किया। सरकारी नियंत्रण में आने वाले सार्वजनिक उपक्रम और निगम भी इस परिभाषा में शामिल किए गए।
- स्वायत्त निकायों का समावेश (1970-1980): इस अवधि में, सुप्रीम कोर्ट ने स्वायत्त निकायों, जैसे कि सरकारी विश्वविद्यालयों और निगमों, को भी ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल किया। यह दृष्टिकोण सार्वजनिक संस्थानों की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करता है।
- न्यायिक सक्रियता का उदय (1980-1990): इस समय के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सक्रियता का प्रदर्शन किया और ‘राज्य’ की परिभाषा को और विस्तृत किया। इसमें उन संस्थानों को भी शामिल किया गया जो सरकारी वित्तपोषण या नियंत्रण में थे।
- पर्यावरण और सार्वजनिक हित (1990-2000): पर्यावरण और सार्वजनिक हित के मामलों में, न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि ‘राज्य’ की परिभाषा में वे निकाय भी शामिल हैं जो पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक कल्याण के लिए कार्यरत हैं।
Freqently Asked Questions (FAQs)
Q1: अनुच्छेद 12 क्या है?
Ans. अनुच्छेद 12 भारतीय संविधान का एक प्रावधान है जो ‘राज्य’ की परिभाषा प्रदान करता है। इसके तहत, केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय प्राधिकरण, और अन्य सार्वजनिक संस्थान ‘राज्य’ के दायरे में आते हैं।
Q2: 'राज्य' की परिभाषा में कौन-कौन शामिल हैं?
Ans. ‘राज्य’ की परिभाषा में केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय प्राधिकरण (जैसे नगर निगम और पंचायतें), और अन्य सार्वजनिक संस्थान जैसे सरकारी कंपनियां और स्वायत्त निकाय शामिल हैं।
Q3: अनुच्छेद 12 का उद्देश्य क्या है?
Ans. अनुच्छेद 12 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो और सभी सरकारी और सार्वजनिक संस्थान संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का पालन करें।
Q4: क्या निजी संस्थान अनुच्छेद 12 के अंतर्गत आते हैं?
Ans. सामान्यतः, निजी संस्थान अनुच्छेद 12 के अंतर्गत नहीं आते हैं, लेकिन यदि वे सरकारी नियंत्रण या वित्तपोषण में हैं, तो वे भी ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल हो सकते हैं।
Q5: अनुच्छेद 12 का मौलिक अधिकारों पर क्या प्रभाव है?
Ans. अनुच्छेद 12 यह सुनिश्चित करता है कि ‘राज्य’ के सभी अंगों द्वारा मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सके। इससे नागरिकों की मौलिक अधिकारों की सुरक्षा होती है।