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shiv ka paryayvachi shabd:synonyms

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Shiv ka paryayvachi shabd पौराणिक शब्द है, जिसका मार्गदर्शन कई पर्यायवाची शब्दों के माध्यम से किया जा सकता है। ये पर्यायवाची शब्द शिव के विविध रूपों, गुणों और विशेषताओं को दर्शाते हैं जिनसे वे हमारी धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धारा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनते हैं। “महादेव” का प्रयोग उनके उच्चतम गुणों और महत्व को व्यक्त करने के लिए होता है। यह शब्द उनके दिव्य स्वरूप की प्रशंसा करता है, जिनसे वे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी और संरचनाकर्ता होते है

Shiv Ka Paryayvachi

परिचय

“शिव” के पर्यायवाची शब्दों का मुख्य विवरण:

  1. महादेव: शब्द “महादेव” उनके उच्चतम और महत्वपूर्ण गुणों को दर्शाता है, जिनसे वे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी होते हैं।
  2. ईश्वर: यह शब्द उनके परम शक्तिमान और सर्वोच्चता को प्रकट करता है, जो उन्हें आदर्श देवता बनाते हैं।
  3. पशुपति: इस पर्यायवाची शब्द से उनके आध्यात्मिक और धार्मिक पहलु को प्रकट किया जाता है, जिन्होंने धार्मिकता का पालन करने की प्रेरणा दी।
  4. शंकर: यह शब्द उनके भयंकर और धैर्यपूर्ण रूप को दर्शाता है, जिन्होंने त्रिपुरासुर वध के समय वीरता प्रकट किया।
  5. नीलकंठ: यह शब्द उनके गहरे नीले गले को व्यक्त करता है, जिसका कारण उन्होंने समुद्र मंथन में विष पी लिया था।
  6. रुद्र: शब्द “रुद्र” उनके भयानक और क्रोधित रूप को प्रकट करता है, जिन्होंने अनाधिकारित दुराचारियों के विनाश के लिए विष चलाया था।
  7. भोलेनाथ: यह शब्द उनके सादगी और भक्तिपूर्ण स्वरूप को दर्शाता है, जिन्होंने अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को सब कुछ स्वीकार करने की प्रतिबद्धता दिखाई है।
  8. आदिदेव: शब्द “आदिदेव” उनके ब्रह्माण्ड के सर्वोच्च आदिदेव होने को दर्शाता है,

पर्यायवाची शब्द

“शिव” के 30 पर्यायवाची शब्दों की सूची:

  1. महादेव
  2. ईश्वर
  3. पशुपति
  4. शंकर
  5. नीलकंठ
  6. रुद्र
  7. भोलेनाथ
  8. आदिदेव
  9. भगवान
  10. महेश
  11. जटाधर
  12. त्रिलोकेश्वर
  13. जगदीश
  14. पिनाकी
  15. अशुतोष
  16. गिरिजापति
  17. शिवयोगी
  18. नगेश
  19. अर्धनारीश्वर
  20. कालान्तक
  21. परमेश्वर
  22. महाकाल
  23. प्रशांत
  24. शर्व
  25. रुद्रपति
  26. पितामह
  27. अश्वरुद्र
  28. शूली
  29. नन्दीश्वर
  30. कैलासेश्वर

Synonyms of Shiv

Here are 30 synonyms for “शिव” (Shiva) in English:

  1. Mahadev
  2. Ishvara
  3. Pashupati
  4. Shankar
  5. Neelkanth
  6. Rudra
  7. Bholenath
  8. Adidev
  9. Bhagavan
  10. Mahesh
  11. Jatadhari
  12. Trilokeshwar
  13. Jagadish
  14. Pinaki
  15. Ashutosh
  16. Girijapati
  17. Shiva Yogi
  18. Nagesh
  19. Ardhanarishwar
  20. Kalaantak
  21. Parameshwar
  22. Mahakal
  23. Prashant
  24. Sharva
  25. Rudrapati
  26. Pitamah
  27. Ashwadra
  28. Shooli
  29. Nandishwar
  30. Kailasheshwar

शिव का वाक्यों में प्रयोग​

  1. जब मैंने मंदिर में पूजा की, तो मैंने भगवान शिव की मूर्ति के सामने प्रार्थना की।
  2. शिवरात्रि के दिन, लोग शिव मंदिर में भक्ति भाव से जाते हैं।
  3. उनकी तांडव नृत्य की गाथाएँ हमें हिन्दू मिथोलॉजी में मिलती हैं।
  4. कैलाश पर्वत पर मान्यता है कि भगवान शिव वहाँ विराजमान हैं।
  5. शिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखकर शिव का पूजन करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
  6. शिवजी के भक्तों के लिए वे महत्वपूर्ण आदर्श हैं जो तपस्या और साधना के माध्यम से आत्मा की प्राप्ति करते हैं।

शिव के पर्यायवाची शब्दों के वाक्यों में प्रयोग

  1. महादेव का दर्शन करने के लिए लोग शिव मंदिर में जाते हैं।
  2. उसने ईश्वर की उपासना करके शांति पाई।
  3. पशुपति के आदर्शों का पालन करने से वह धार्मिक जीवन जीता है।
  4. शंकर की महिमा और शक्तियों के बारे में कई पुराणिक कथाएँ मिलती हैं।
  5. नीलकंठ नाम से पुकारे जाने वाले भगवान शिव के दर्शनों से भक्तों को आनंद होता है।
  6. भोलेनाथ के दिव्य गुणों के चरणों में वह अपनी समस्याओं का समाधान पाता है।
  7. उनका त्रिलोकेश्वर रूप सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्चता को दर्शाता है।
  8. वह भगवान के महान शरणागत हैं

शिव से जुडे रोचक तथ्य

  1. भैरव और शिव: भैरव एक रूप में भी शिव के परिचय में आते हैं, जो उनकी उपासना और देवी दुर्गा के साथ जुड़े होते हैं।
  2. नीलकंठ: शिव को “नीलकंठ” कहा जाता है इसका कारण है कि उन्होंने समुद्र मंथन के समय विष पीने से उनका गला नीले रंग में हो गया था।
  3. तांडव नृत्य: भगवान शिव का तांडव नृत्य उनके विशेषता में से एक है, जो उनके भयानक और सौंदर्यपूर्ण रूप को प्रकट करता है।
  4. अर्धनारीश्वर: शिव का “अर्धनारीश्वर” रूप, जिसमें वे पुरुष और स्त्री के रूपों में दिखाई देते हैं, विश्व में पुरुष और स्त्री के समान महत्व को प्रतिष्ठित करता है।
  5. गंगा का अवतरण: शिव के जटाओं से गंगा नदी का अवतरण हुआ था, जिसका उपायन उनकी महादेवता और आदर्शता को प्रकट करता है।
  6. विषपीड़न: शिव ने हालाही में समुद्र मंथन के समय विष पीने से वनवासियों की सुरक्षा की थी, जिससे उन्हें “नीलकंठ” नाम मिला।
  7. कैलाश पर्वत: शिव का आवास माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर है, जिसे वे अपने ध्यान और साधना के लिए चुनते हैं।
  8. चंद्रमा के मुकुट: शिव का मुकुट माना जाता है कि चंद्रमा होता है, जो उनके सर्वश्रेष्ठता और विशेषता को प्रतिष्ठित करता है।
  9. शूल: शिव के हाथ में एक त्रिशूल (शूल) होता है, जो उनके सामर्थ्य, ताण्डव नृत्य और जीवन की अस्थिरता को प्रतिष्ठित करता है।’
  10. महाकाल: शिव को “महाकाल” कहा जाता है, जो उनके सारे समय के रूप को प्रकट करता है और मृत्यु के स्वामी के रूप में भी पूजा जाता है।

शिव का जन्म कैसे हुआ

हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान शिव का जन्म उनके महत्वपूर्ण रूपों और कथाओं में से एक महत्वपूर्ण है। शिव के जन्म की कथा अलग-अलग पौराणिक ग्रंथों में विभिन्न रूपों में प्रस्तुत की गई है, लेकिन एक प्रमुख कथा के अनुसार, उनका जन्म महाकालपुरी में हुआ था।

इस कथा के अनुसार, एक समय आया जब त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर (शिव) – आपस में लीन थे और ब्रह्मांड का निरंतर उत्पन्न हो रहा था। वे साक्षात्कार और स्वानुभव के द्वारा अपनी शक्तियों के साथ जुड़े थे। उन्होंने अपने आत्मा की विशालता के कारण विश्व का उत्थान किया था।

इस समय, त्रिमूर्ति ने एक बड़े ही उत्साह से उत्पन्न होने वाले बच्चे की आवश्यकता को महसूस किया। उनके प्रेम और आदर्शता से भरे आंखों से आंसू बरसने लगे, जिनसे एक छोटे से बच्चे की रूप में उनका जन्म हुआ। यह बच्चा ब्रह्मांड के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक था, जिसका नाम महेश्वर रखा गया।

शिव का जन्म उनके महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को प्रकट करता है। यह कथा उनकी दिव्यता, प्रेम, और धार्मिक महत्व की गहरी मान्यता का प्रतीक है, जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, यह कथा व्यक्तिगत आदर्शों और धार्मिक संदेशों को साझा करने का एक माध्यम भी है

‌‌‌शिव पुराण कें अनुसार शिव की उत्पत्ति

शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव की उत्पत्ति की कथा एक रूप में विशेष रूप से प्रस्तुत की गई है। यह कथा मुख्य रूप से कैलाश पर्वत के बारे में है, जो उनके आवास स्थल के रूप में जाना जाता है। कथा के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर (शिव) त्रिमूर्ति के रूप में आपस में मिले और अनंत समय तक ध्यान में लीन रहे। इस अवधि के बाद, जब वे अपने आत्मा की विशालता के कारण विश्व के निरंतर उत्पन्न हो रहे बदलाव को अनुभव करने लगे, उन्होंने देखा कि एक बड़े ही उत्साह से उत्पन्न होने वाले बच्चे क

विष्णु पुराण के अनुसार शिव की उत्पत्ति

विष्णु पुराण में शिव की उत्पत्ति की कथा भी प्रस्तुत है, जो अन्य पौराणिक ग्रंथों से थोड़ी अलग होती है। इस पुराण में दी गई कथा के अनुसार, भगवान शिव की उत्पत्ति का एक विशेष रूप में वर्णन होता है।

कथा के अनुसार, जब विष्णु भगवान ने वैकुण्ठ धाम में अपनी स्थानीय परिवार के साथ आनंदमय जीवन बिता रहे थे, तब उन्होंने एक स्वप्न देखा। उन्होंने देखा कि एक अत्यंत तेज ज्योति से प्रकाशित होने वाला सूर्यकोटि के समान तेजस्वी प्रतिमा विष्णु के सामने आई। विष्णु भगवान ने उस प्रतिमा के शिखर को छूकर देखा कि वह स्वयं विष्णु की आत्मा है।

उन्होंने देखा कि वह विश्व के सम्पूर्ण जीवों के हृदय में स्थित है और उनकी उत्तम भावनाओं का प्रतीक है। विष्णु भगवान को यह अनुभव होने पर वे उत्साहित हो गए और उन्होंने अपने आत्मा से बात करते हुए उस ज्योतिर्मय आत्मा को उपासना करने का निर्णय लिया।

विष्णु भगवान की उपासना के बाद, उनकी कृपा से उन्होंने उस ज्योतिर्मय प्रतिमा को प्राप्त किया, जो भगवान शिव की आत्मा थी। इस प्रकार, विष्णु पुराण में शिव की उत्पत्ति का विशेष वर्णन किया गया है, जिसमें उनके महत्वपूर्ण रूपों का प्रतिष्ठान किया गया है।

शिव जी का वाहन कौन है

सभी देवी देवताओ की तरह से शिव का भी एक वाहन है जिस पर शिव सवारी करते है । यह वाहन नंदी है जो पृथ्वी पर मंदिरो के बाहर देखने को मिलता है । नंदी को भग्ति और शक्ति के प्रतिक के रूप मे जाना जाता है । और यही कारण है की शिव के साथ नंदी की पूजा होती है । द्वारपाल के रूप मे भी नंदी को ही जाना ‌‌‌जाता है ।

शिव ने क्यो चुना नंदी को अपना वाहन

शिव को भी भौला माना जाता है मगर वे भी भौले नही होते है बल्की बुद्धिवान होते है । यही देखने के बाद मे शिव ने नंदी को अपना वाहन चुनने का निश्चय किया और नंदी को ‌‌‌ही अपना वाहन चुना था । मगर नंदी बहुत से देवो को पंसद नही आया था ।

मगर शिव को पंसद था और उन्होने अपने से पहले नंदी की पूजा करने का वरदान नंदी को दिया । जिसके कारण से नंदी ने केवल शिवलोक मे ‌‌‌ही नही बल्की तीनो लोको मे जाना जाने लगा और उसकी पूजा जोरो सोरो से होने लगी । इसके साथ ही सुरक्षा के रूप मे ‌‌‌भी नंदी बलवान होता है एक कारण यह भी रहा की शिव ने नंदी को अपना वाहन चुना ।

श से शुरू होने वाले अन्य पर्यायवाची शब्द

  • शांतिपूर्वक (शांतिपूर्वक)
  • शुद्ध (शुद्ध)
  • शिक्षक (शिक्षक)
  • श्रेष्ठ (श्रेष्ठ)
  • श्रद्धा (श्रद्धा)
  • शब्द (शब्द)
  • शहर (शहर)
  • शिर्षक (शिर्षक)
  • शब्दकोश (शब्दकोश)
  • शक्ति (शक्ति)
  • शिकायत (शिकायत)
  • शुभ (शुभ)
  • श्रम (श्रम)
  • शिखर (शिखर)
  • शामिल (शामिल)

FAQs

: महादेव, ईश्वर, महेश, भोलेनाथ, शम्भु, शंकर, रुद्र, नीलकंठ, त्रिपुरांतक, और गिरीश।

शिव के समर्थन का अर्थ है – भगवान शिव की उपासना या आदर करना।

शिव के विरोधी शब्द कोई विशिष्ट शब्द नहीं होता है, क्योंकि विरोधी शब्द उस शब्द के प्रतिष्ठान और अर्थ के आधार पर बदलते हैं

भगवान शिव की उपासना कई कारणों से की जाती है, जैसे कि उन्हें भगवान का एक महत्वपूर्ण रूप माना जाता है और उनकी उपासना से भक्तों को आदर्शता, शक्ति और मुक्ति की प्राप्ति होती है।

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shiv ka paryayvachi shabd:synonyms

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Shiv ka paryayvachi shabd पौराणिक शब्द है, जिसका मार्गदर्शन कई पर्यायवाची शब्दों के माध्यम से किया जा सकता है। ये पर्यायवाची शब्द शिव के विविध रूपों, गुणों और विशेषताओं को दर्शाते हैं जिनसे वे हमारी धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धारा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनते हैं। “महादेव” का प्रयोग उनके उच्चतम गुणों और महत्व को व्यक्त करने के लिए होता है। यह शब्द उनके दिव्य स्वरूप की प्रशंसा करता है, जिनसे वे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी और संरचनाकर्ता होते है

Shiv Ka Paryayvachi

परिचय

“शिव” के पर्यायवाची शब्दों का मुख्य विवरण:

  1. महादेव: शब्द “महादेव” उनके उच्चतम और महत्वपूर्ण गुणों को दर्शाता है, जिनसे वे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी होते हैं।
  2. ईश्वर: यह शब्द उनके परम शक्तिमान और सर्वोच्चता को प्रकट करता है, जो उन्हें आदर्श देवता बनाते हैं।
  3. पशुपति: इस पर्यायवाची शब्द से उनके आध्यात्मिक और धार्मिक पहलु को प्रकट किया जाता है, जिन्होंने धार्मिकता का पालन करने की प्रेरणा दी।
  4. शंकर: यह शब्द उनके भयंकर और धैर्यपूर्ण रूप को दर्शाता है, जिन्होंने त्रिपुरासुर वध के समय वीरता प्रकट किया।
  5. नीलकंठ: यह शब्द उनके गहरे नीले गले को व्यक्त करता है, जिसका कारण उन्होंने समुद्र मंथन में विष पी लिया था।
  6. रुद्र: शब्द “रुद्र” उनके भयानक और क्रोधित रूप को प्रकट करता है, जिन्होंने अनाधिकारित दुराचारियों के विनाश के लिए विष चलाया था।
  7. भोलेनाथ: यह शब्द उनके सादगी और भक्तिपूर्ण स्वरूप को दर्शाता है, जिन्होंने अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को सब कुछ स्वीकार करने की प्रतिबद्धता दिखाई है।
  8. आदिदेव: शब्द “आदिदेव” उनके ब्रह्माण्ड के सर्वोच्च आदिदेव होने को दर्शाता है,

पर्यायवाची शब्द

“शिव” के 30 पर्यायवाची शब्दों की सूची:

  1. महादेव
  2. ईश्वर
  3. पशुपति
  4. शंकर
  5. नीलकंठ
  6. रुद्र
  7. भोलेनाथ
  8. आदिदेव
  9. भगवान
  10. महेश
  11. जटाधर
  12. त्रिलोकेश्वर
  13. जगदीश
  14. पिनाकी
  15. अशुतोष
  16. गिरिजापति
  17. शिवयोगी
  18. नगेश
  19. अर्धनारीश्वर
  20. कालान्तक
  21. परमेश्वर
  22. महाकाल
  23. प्रशांत
  24. शर्व
  25. रुद्रपति
  26. पितामह
  27. अश्वरुद्र
  28. शूली
  29. नन्दीश्वर
  30. कैलासेश्वर

Synonyms of Shiv

Here are 30 synonyms for “शिव” (Shiva) in English:

  1. Mahadev
  2. Ishvara
  3. Pashupati
  4. Shankar
  5. Neelkanth
  6. Rudra
  7. Bholenath
  8. Adidev
  9. Bhagavan
  10. Mahesh
  11. Jatadhari
  12. Trilokeshwar
  13. Jagadish
  14. Pinaki
  15. Ashutosh
  16. Girijapati
  17. Shiva Yogi
  18. Nagesh
  19. Ardhanarishwar
  20. Kalaantak
  21. Parameshwar
  22. Mahakal
  23. Prashant
  24. Sharva
  25. Rudrapati
  26. Pitamah
  27. Ashwadra
  28. Shooli
  29. Nandishwar
  30. Kailasheshwar

शिव का वाक्यों में प्रयोग​

  1. जब मैंने मंदिर में पूजा की, तो मैंने भगवान शिव की मूर्ति के सामने प्रार्थना की।
  2. शिवरात्रि के दिन, लोग शिव मंदिर में भक्ति भाव से जाते हैं।
  3. उनकी तांडव नृत्य की गाथाएँ हमें हिन्दू मिथोलॉजी में मिलती हैं।
  4. कैलाश पर्वत पर मान्यता है कि भगवान शिव वहाँ विराजमान हैं।
  5. शिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखकर शिव का पूजन करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
  6. शिवजी के भक्तों के लिए वे महत्वपूर्ण आदर्श हैं जो तपस्या और साधना के माध्यम से आत्मा की प्राप्ति करते हैं।

शिव के पर्यायवाची शब्दों के वाक्यों में प्रयोग

  1. महादेव का दर्शन करने के लिए लोग शिव मंदिर में जाते हैं।
  2. उसने ईश्वर की उपासना करके शांति पाई।
  3. पशुपति के आदर्शों का पालन करने से वह धार्मिक जीवन जीता है।
  4. शंकर की महिमा और शक्तियों के बारे में कई पुराणिक कथाएँ मिलती हैं।
  5. नीलकंठ नाम से पुकारे जाने वाले भगवान शिव के दर्शनों से भक्तों को आनंद होता है।
  6. भोलेनाथ के दिव्य गुणों के चरणों में वह अपनी समस्याओं का समाधान पाता है।
  7. उनका त्रिलोकेश्वर रूप सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्चता को दर्शाता है।
  8. वह भगवान के महान शरणागत हैं

शिव से जुडे रोचक तथ्य

  1. भैरव और शिव: भैरव एक रूप में भी शिव के परिचय में आते हैं, जो उनकी उपासना और देवी दुर्गा के साथ जुड़े होते हैं।
  2. नीलकंठ: शिव को “नीलकंठ” कहा जाता है इसका कारण है कि उन्होंने समुद्र मंथन के समय विष पीने से उनका गला नीले रंग में हो गया था।
  3. तांडव नृत्य: भगवान शिव का तांडव नृत्य उनके विशेषता में से एक है, जो उनके भयानक और सौंदर्यपूर्ण रूप को प्रकट करता है।
  4. अर्धनारीश्वर: शिव का “अर्धनारीश्वर” रूप, जिसमें वे पुरुष और स्त्री के रूपों में दिखाई देते हैं, विश्व में पुरुष और स्त्री के समान महत्व को प्रतिष्ठित करता है।
  5. गंगा का अवतरण: शिव के जटाओं से गंगा नदी का अवतरण हुआ था, जिसका उपायन उनकी महादेवता और आदर्शता को प्रकट करता है।
  6. विषपीड़न: शिव ने हालाही में समुद्र मंथन के समय विष पीने से वनवासियों की सुरक्षा की थी, जिससे उन्हें “नीलकंठ” नाम मिला।
  7. कैलाश पर्वत: शिव का आवास माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर है, जिसे वे अपने ध्यान और साधना के लिए चुनते हैं।
  8. चंद्रमा के मुकुट: शिव का मुकुट माना जाता है कि चंद्रमा होता है, जो उनके सर्वश्रेष्ठता और विशेषता को प्रतिष्ठित करता है।
  9. शूल: शिव के हाथ में एक त्रिशूल (शूल) होता है, जो उनके सामर्थ्य, ताण्डव नृत्य और जीवन की अस्थिरता को प्रतिष्ठित करता है।’
  10. महाकाल: शिव को “महाकाल” कहा जाता है, जो उनके सारे समय के रूप को प्रकट करता है और मृत्यु के स्वामी के रूप में भी पूजा जाता है।

शिव का जन्म कैसे हुआ

हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान शिव का जन्म उनके महत्वपूर्ण रूपों और कथाओं में से एक महत्वपूर्ण है। शिव के जन्म की कथा अलग-अलग पौराणिक ग्रंथों में विभिन्न रूपों में प्रस्तुत की गई है, लेकिन एक प्रमुख कथा के अनुसार, उनका जन्म महाकालपुरी में हुआ था।

इस कथा के अनुसार, एक समय आया जब त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर (शिव) – आपस में लीन थे और ब्रह्मांड का निरंतर उत्पन्न हो रहा था। वे साक्षात्कार और स्वानुभव के द्वारा अपनी शक्तियों के साथ जुड़े थे। उन्होंने अपने आत्मा की विशालता के कारण विश्व का उत्थान किया था।

इस समय, त्रिमूर्ति ने एक बड़े ही उत्साह से उत्पन्न होने वाले बच्चे की आवश्यकता को महसूस किया। उनके प्रेम और आदर्शता से भरे आंखों से आंसू बरसने लगे, जिनसे एक छोटे से बच्चे की रूप में उनका जन्म हुआ। यह बच्चा ब्रह्मांड के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक था, जिसका नाम महेश्वर रखा गया।

शिव का जन्म उनके महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को प्रकट करता है। यह कथा उनकी दिव्यता, प्रेम, और धार्मिक महत्व की गहरी मान्यता का प्रतीक है, जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, यह कथा व्यक्तिगत आदर्शों और धार्मिक संदेशों को साझा करने का एक माध्यम भी है

‌‌‌शिव पुराण कें अनुसार शिव की उत्पत्ति

शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव की उत्पत्ति की कथा एक रूप में विशेष रूप से प्रस्तुत की गई है। यह कथा मुख्य रूप से कैलाश पर्वत के बारे में है, जो उनके आवास स्थल के रूप में जाना जाता है। कथा के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर (शिव) त्रिमूर्ति के रूप में आपस में मिले और अनंत समय तक ध्यान में लीन रहे। इस अवधि के बाद, जब वे अपने आत्मा की विशालता के कारण विश्व के निरंतर उत्पन्न हो रहे बदलाव को अनुभव करने लगे, उन्होंने देखा कि एक बड़े ही उत्साह से उत्पन्न होने वाले बच्चे क

विष्णु पुराण के अनुसार शिव की उत्पत्ति

विष्णु पुराण में शिव की उत्पत्ति की कथा भी प्रस्तुत है, जो अन्य पौराणिक ग्रंथों से थोड़ी अलग होती है। इस पुराण में दी गई कथा के अनुसार, भगवान शिव की उत्पत्ति का एक विशेष रूप में वर्णन होता है।

कथा के अनुसार, जब विष्णु भगवान ने वैकुण्ठ धाम में अपनी स्थानीय परिवार के साथ आनंदमय जीवन बिता रहे थे, तब उन्होंने एक स्वप्न देखा। उन्होंने देखा कि एक अत्यंत तेज ज्योति से प्रकाशित होने वाला सूर्यकोटि के समान तेजस्वी प्रतिमा विष्णु के सामने आई। विष्णु भगवान ने उस प्रतिमा के शिखर को छूकर देखा कि वह स्वयं विष्णु की आत्मा है।

उन्होंने देखा कि वह विश्व के सम्पूर्ण जीवों के हृदय में स्थित है और उनकी उत्तम भावनाओं का प्रतीक है। विष्णु भगवान को यह अनुभव होने पर वे उत्साहित हो गए और उन्होंने अपने आत्मा से बात करते हुए उस ज्योतिर्मय आत्मा को उपासना करने का निर्णय लिया।

विष्णु भगवान की उपासना के बाद, उनकी कृपा से उन्होंने उस ज्योतिर्मय प्रतिमा को प्राप्त किया, जो भगवान शिव की आत्मा थी। इस प्रकार, विष्णु पुराण में शिव की उत्पत्ति का विशेष वर्णन किया गया है, जिसमें उनके महत्वपूर्ण रूपों का प्रतिष्ठान किया गया है।

शिव जी का वाहन कौन है

सभी देवी देवताओ की तरह से शिव का भी एक वाहन है जिस पर शिव सवारी करते है । यह वाहन नंदी है जो पृथ्वी पर मंदिरो के बाहर देखने को मिलता है । नंदी को भग्ति और शक्ति के प्रतिक के रूप मे जाना जाता है । और यही कारण है की शिव के साथ नंदी की पूजा होती है । द्वारपाल के रूप मे भी नंदी को ही जाना ‌‌‌जाता है ।

शिव ने क्यो चुना नंदी को अपना वाहन

शिव को भी भौला माना जाता है मगर वे भी भौले नही होते है बल्की बुद्धिवान होते है । यही देखने के बाद मे शिव ने नंदी को अपना वाहन चुनने का निश्चय किया और नंदी को ‌‌‌ही अपना वाहन चुना था । मगर नंदी बहुत से देवो को पंसद नही आया था ।

मगर शिव को पंसद था और उन्होने अपने से पहले नंदी की पूजा करने का वरदान नंदी को दिया । जिसके कारण से नंदी ने केवल शिवलोक मे ‌‌‌ही नही बल्की तीनो लोको मे जाना जाने लगा और उसकी पूजा जोरो सोरो से होने लगी । इसके साथ ही सुरक्षा के रूप मे ‌‌‌भी नंदी बलवान होता है एक कारण यह भी रहा की शिव ने नंदी को अपना वाहन चुना ।

श से शुरू होने वाले अन्य पर्यायवाची शब्द

  • शांतिपूर्वक (शांतिपूर्वक)
  • शुद्ध (शुद्ध)
  • शिक्षक (शिक्षक)
  • श्रेष्ठ (श्रेष्ठ)
  • श्रद्धा (श्रद्धा)
  • शब्द (शब्द)
  • शहर (शहर)
  • शिर्षक (शिर्षक)
  • शब्दकोश (शब्दकोश)
  • शक्ति (शक्ति)
  • शिकायत (शिकायत)
  • शुभ (शुभ)
  • श्रम (श्रम)
  • शिखर (शिखर)
  • शामिल (शामिल)

FAQs

: महादेव, ईश्वर, महेश, भोलेनाथ, शम्भु, शंकर, रुद्र, नीलकंठ, त्रिपुरांतक, और गिरीश।

शिव के समर्थन का अर्थ है – भगवान शिव की उपासना या आदर करना।

शिव के विरोधी शब्द कोई विशिष्ट शब्द नहीं होता है, क्योंकि विरोधी शब्द उस शब्द के प्रतिष्ठान और अर्थ के आधार पर बदलते हैं

भगवान शिव की उपासना कई कारणों से की जाती है, जैसे कि उन्हें भगवान का एक महत्वपूर्ण रूप माना जाता है और उनकी उपासना से भक्तों को आदर्शता, शक्ति और मुक्ति की प्राप्ति होती है।

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