Class 10 Science Chapter 6 Question Answer In Hindi

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 6 Life Processes in Hindi

  1. मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है

(a) पोषण

(b) श्वसन

(c) उत्सर्जन

(d) परिवहन सीसा अपचयित हो रहा है।

Ans: (c) उत्सर्जन

  1. पादप में जाइलम उत्तरदायी है

(a) जल का वहन

(b) भोजन का वहन

(c) अमीनो अम्ल का वहन

(d) ऑक्सीजन का वहन

Ans: (a) जल का वहन

  1. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है

(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल 

(b) क्लोरोफिल

(c) सूर्य का प्रकाश 

(d) उपरोक्त सभी

Ans: (d) उपरोक्त सभी

  1. पायरूवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है

(a) कोशिकाद्रव्य 

(b) माइटोकॉन्ड्रिया

(c) हरित लवक 

(d) केन्द्रक

Ans: (b) माइटोकॉन्ड्रिया

  1. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?

Ans: हमारे शरीर में वसा का पाचन क्षुद्रांत्र में होता है | यह आहारनाल का सबसे लंबा भाग होता है | अमाशय से आनेवाला भोजन अम्लीय होता है। वसा के पाचन के लिए क्षुद्रांत्र यकृत तथा अग्न्याशय से स्रावण प्राप्त करती है | क्षुद्रांत्र की भित्ति में ग्रंथि होती है जो आंत्र रस स्रावित करती है | इसमें उपस्थित एंजाइम वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देते है |

  1. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?

Ans: भोजन को पचाने के लिये उसे दसरल टुकड़ों में खंडित करना जरूरी होता है| लार एक रस है जो लाला ग्रंथि से स्त्रावित होता है| लार में एक एंजाइम होता है जिसे लार एमिलेस कहते हैं, यह जटिल अणुओं को सरल शर्करा में खंडित कर देता है | भोजन को चबाने के दौरान पेशीय जिह्वा भोजन को लार के साथ पूरी तरह से मिला देती है |

  1. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?

Ans: स्वपोषी जीव की कार्बन तथा ऊर्जा की आवश्यकताएँ प्रकाश संश्लेषण द्वारा पूरी होती हैं | स्वपोषी जीव सरल अकार्बनिक पदार्थों के उपयोग से जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करते है| स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ निम्न है –

  • क्लोरोफिल की उपस्थिति
  • कार्बन डाईऑक्साइड गैस
  • सूर्य का प्रकाश
  • पर्याप्त मात्रा में जल
  • स्थलीय पौधे जड़ों द्वारा मिट्टी में उपस्थित जल एवं अन्य पदार्थ जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, लोहा आदि अवशोषित करते है |
  1. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर हैं? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।

Ans: वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में अंतर निम्नलिखित है–

 

Ncert Solutions For Class 10 Science Chapter 6 In Hindi

9. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?

Ans: फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी नलिकाओं में परिवर्तित हो जाता है जो अंत में गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है, इन्हें कूपिका कहते हैं | कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है | कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है |

10. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के परिणाम हो सकते हैं?

Ans: हीमोग्लोबिन श्वसन वर्णक है जो श्वसन के लिए शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन पहुंचाता है। यह वर्णक लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित होता है | हीमोग्लोबिन की कमी से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है | हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया नामक बीमारी भी हो सकती है | हीमोग्लोबिन की कमी के परिणामस्वरूप कमजोरी महसूस होना, पीलापन, चक्कर आना, साँस लेने में तकलीफ आदि भी हो सकता है|

11. मानव में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए | यह क्यों आवश्यक है?

Ans: कार्बन डाईऑक्साइड प्रचुर रुधिर को कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ने के लिए फुफ्फुस में जाना होता है तथा फुफ्फुस से वापस ऑक्सीजनित रुधिर को हृदय में लाना होता है | इस तरह दो चक्र में रुधिर हृदय में जाता है इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं | रुधिर को हमारे शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड दोनों का ही वहन करना होता है| ऑक्सीजन प्रचुर रुधिर को कार्बन डाईऑक्साइड युक्त रुधिर से मिलने को रोकने के लिए हृदय कई कोष्ठों में बंटा होता है | इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है |

12. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?

Ans: जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में निम्न अंतर है-

Ncert Solutions For Class 10 Science Chapter 6 In Hindi (1)

13. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।

Ans: कूपिकाओं की रचना तथा क्रियाविधि – फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी नलिकाओं में परिवर्तित हो जाता है जो अंत में गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है, इन्हें कूपिका कहते हैं | कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है | कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है | रुधिर शरीर से कार्बन डाईऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है | कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है |

वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि – वृक्क उदर में रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर स्थित होते हैं | प्रत्येक वृक्क में लगभग 10 लाख वृक्काणु होते हैं| वृक्क में आधारी निस्यंदन एकक, बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर कोशिकाओं का गुच्छ होता है | प्रत्येक केशिका गुच्छ एक नलिका के कप के आकार के सिरे के अंदर होता है | वृक्क में ऐसे अनेक निस्यंदन एकक होते हैं जिन्हें वृक्काणु (नेफ्रॉन) कहते हैं | प्रारंभिक निस्यंद में कुछ पदार्थ जैसे ग्लूकोज़, अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं | प्रत्येक वृक्क में बनने वाला मूत्र एक लंबी नलिका में प्रवाहित होता है इन पदार्थों का चयनित पुनरवशोषण हो जाता है |

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