D El Ed Full Form In Hindi: डी.एल.एड का पूरा नाम क्या है, डी.एल.एड कोर्स की विशेषताएँ, डी.एल.एड में प्रवेश प्रक्रिया

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डी.एल.एड D El Ed Full Form In Hindi (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) एक पेशेवर डिप्लोमा कोर्स है जो प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिए तैयार किया गया है। यह कोर्स शिक्षकों को बच्चों के समग्र विकास और प्रभावी शिक्षण विधियों में प्रशिक्षित करता है। डी.एल.एड कोर्स की अवधि सामान्यत: 2 वर्ष होती है और यह पूर्णकालिक, अंशकालिक, या दूरस्थ शिक्षा मोड में उपलब्ध होता है। इस कोर्स के माध्यम से, उम्मीदवार शिक्षा के क्षेत्र में एक ठोस और व्यावसायिक कैरियर की शुरुआत कर सकते हैं।

Table Of Content

डी.एल.एड का पूरा नाम क्या है?: D El Ed Full Form In Hindi 

1. डी.एल.एड का पूरा नाम:

  • डी.एल.एड का पूरा नाम “डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन” (Diploma in Elementary Education) है।
  • यह एक डिप्लोमा कोर्स है जो प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8 तक) के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से किया जाता है।

2. डी.एल.एड कोर्स की अवधि:

  • इस कोर्स की सामान्य अवधि 2 वर्ष होती है।
  • कुछ संस्थानों में यह अवधि अंशकालिक (पार्ट-टाइम) या दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग) के माध्यम से भी हो सकती है।

3. डी.एल.एड का उद्देश्य:

  • इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य छात्रों को शिक्षक प्रशिक्षण देना है ताकि वे प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में कुशल शिक्षक बन सकें।
  • यह कोर्स विशेष रूप से सरकारी और निजी विद्यालयों में शिक्षण के लिए आवश्यक होता है।

4. शिक्षण विधियों पर फोकस:

  • डी.एल.एड कोर्स में शिक्षण की विभिन्न विधियों, बच्चों की मानसिकता को समझने, और उन्हें बेहतर तरीके से पढ़ाने के कौशल पर ध्यान दिया जाता है।
  • इसमें व्यवहारिक प्रशिक्षण (प्रैक्टिकल ट्रेनिंग) भी शामिल होती है, जिससे शिक्षक बच्चों के साथ बेहतर संबंध बना सकें।

5. डी.एल.एड की मान्यता:

  • यह कोर्स राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा मान्यता प्राप्त होता है, जो इसे एक मानकीकृत शिक्षण डिप्लोमा बनाता है।
 

डी.एल.एड कोर्स की विशेषताएँ: D El Ed Full Form In Hindi 

1. कोर्स की अवधि:

  • डी.एल.एड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) की अवधि 2 वर्ष होती है।
  • इसे पूर्णकालिक (फुल-टाइम) और अंशकालिक (पार्ट-टाइम) दोनों तरीकों से किया जा सकता है, साथ ही कुछ संस्थान दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग) विकल्प भी प्रदान करते हैं।

2. प्राथमिक शिक्षण पर फोकस:

  • डी.एल.एड कोर्स का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8 तक) के लिए योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों को तैयार करना है।
  • इसमें शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम निर्माण, और कक्षा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

3. व्यवहारिक प्रशिक्षण:

  • कोर्स के दौरान छात्रों को व्यवहारिक प्रशिक्षण (प्रैक्टिकल ट्रेनिंग) दिया जाता है, जिसमें वे कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाने का अनुभव प्राप्त करते हैं।
  • इस दौरान छात्रों को स्कूलों में इंटर्नशिप करने का अवसर भी मिलता है।

4. व्यक्तिगत विकास पर ध्यान:

  • डी.एल.एड कोर्स में छात्रों के व्यक्तिगत और पेशेवर विकास पर जोर दिया जाता है।
  • इसमें नेतृत्व क्षमता, संवाद कौशल, और समस्या समाधान के कौशल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

5. सरकारी मान्यता:

  • डी.एल.एड कोर्स को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा मान्यता प्राप्त होती है, जिससे इसे सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षक के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक योग्यता माना जाता है।
 

डी.एल.एड का उद्देश्य: D El Ed Full Form In Hindi 

1. प्राथमिक शिक्षा के लिए योग्य शिक्षक तैयार करना:

  • डी.एल.एड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8) के लिए कुशल और योग्य शिक्षक तैयार करना है।
  • यह कोर्स छात्रों को ऐसी शिक्षा प्रदान करता है जिससे वे बच्चों को आधारभूत शिक्षा प्रदान कर सकें।

2. शिक्षण कौशल का विकास:

  • डी.एल.एड कोर्स शिक्षण कौशल के विकास पर जोर देता है। इसमें छात्रों को नवीनतम शिक्षण तकनीकों और विधियों से अवगत कराया जाता है।
  • यह कोर्स छात्रों को बच्चों की मानसिकता को समझने और उन्हें बेहतर तरीके से पढ़ाने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है।

3. व्यावहारिक प्रशिक्षण:

  • डी.एल.एड कोर्स के अंतर्गत शिक्षकों को कक्षाओं में व्यावहारिक प्रशिक्षण (प्रैक्टिकल ट्रेनिंग) दिया जाता है।
  • इससे शिक्षक को स्कूल के माहौल में कार्य करने का अनुभव मिलता है और वे कक्षा प्रबंधन व बच्चों के साथ व्यवहार करने के तरीकों को बेहतर समझते हैं।

4. बाल विकास पर ध्यान:

  • इस कोर्स का उद्देश्य छात्रों को बाल विकास के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देना है, ताकि वे बच्चों की शिक्षा, मानसिकता और व्यवहार को समझ सकें।
  • यह कोर्स बच्चों के संज्ञानात्मक, भावनात्मक, और सामाजिक विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

5. समाज के प्रति जिम्मेदारी:

  • डी.एल.एड कोर्स का उद्देश्य समाज में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देना और जिम्मेदार नागरिक बनाने में योगदान देना भी है।

डी.एल.एड के लिए पात्रता मापदंड: D El Ed Full Form In Hindi 

1. शैक्षणिक योग्यता:

  • डी.एल.एड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10+2 (इंटरमीडिएट) है।
  • उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 परीक्षा में कम से कम 50% अंक प्राप्त करने आवश्यक हैं।
  • आरक्षित श्रेणी (SC/ST/OBC) के उम्मीदवारों को अंकों में छूट दी जा सकती है, जो 5% तक हो सकती है।

2. आयु सीमा:

  • डी.एल.एड के लिए न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष होती है।
  • अधिकतम आयु सीमा संस्थान या राज्य के नियमों के अनुसार भिन्न हो सकती है, लेकिन आमतौर पर 35 वर्ष के आस-पास होती है।
  • आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में छूट मिल सकती है।

3. राष्ट्रीयता:

  • डी.एल.एड कोर्स के लिए उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • कुछ संस्थान या राज्य विदेशी नागरिकों या NRI छात्रों के लिए भी विशेष नियम बना सकते हैं।

4. प्रवेश परीक्षा:

  • कई राज्यों और संस्थानों में डी.एल.एड में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा (Entrance Exam) आयोजित की जाती है।
  • परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद मेरिट सूची के आधार पर उम्मीदवार का चयन किया जाता है।

5. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:

  • उम्मीदवार का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है, क्योंकि यह एक शिक्षण कोर्स है जिसमें व्यवहारिक प्रशिक्षण भी शामिल होता है।

6. आवश्यक दस्तावेज़:

  • आवेदन के समय शैक्षणिक प्रमाणपत्र, आयु प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र (यदि लागू हो), और पासपोर्ट साइज फोटो जैसे दस्तावेज़ जमा करना अनिवार्य होता है।
 

डी.एल.एड में प्रवेश प्रक्रिया

प्रवेश प्रक्रिया चरणविवरण
1. आवेदन प्रक्रियाऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन पत्र भरें, जिसमें व्यक्तिगत और शैक्षणिक जानकारी शामिल हो।
2. पात्रता मापदंड की जाँच10+2 परीक्षा में न्यूनतम 50% अंक (आरक्षित श्रेणी के लिए छूट) आवश्यक है।
3. प्रवेश परीक्षाकई राज्य और संस्थान डी.एल.एड में प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित करते हैं, जिसमें सामान्य ज्ञान, गणित, और शिक्षाशास्त्र से संबंधित प्रश्न होते हैं।
4. मेरिट सूचीप्रवेश परीक्षा के अंकों के आधार पर मेरिट सूची तैयार की जाती है, जिसके आधार पर उम्मीदवारों का चयन होता है।
5. काउंसलिंग प्रक्रियाचयनित उम्मीदवारों को काउंसलिंग के लिए बुलाया जाता है, जहाँ वे दस्तावेज़ सत्यापन और सीट चयन करते हैं।
6. प्रवेश की पुष्टिअंतिम प्रवेश काउंसलिंग के बाद शुल्क जमा करके और संबंधित संस्थान में प्रक्रिया पूरी करके होती है।
7. महत्वपूर्ण तिथियाँआवेदन, परीक्षा, और काउंसलिंग से संबंधित तिथियों की जानकारी रखना आवश्यक है।
8. शुल्क भुगतानप्रवेश प्रक्रिया के अंत में, उम्मीदवार को संस्थान द्वारा निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होता है।

डी.एल.एड का पाठ्यक्रम: D El Ed Full Form In Hindi 

1. साधारण शिक्षण विधियाँ:

  • शिक्षण की मूल बातें: शिक्षा के विभिन्न पहलुओं, कक्षा प्रबंधन और शिक्षण तकनीकों का अध्ययन।
  • पाठ्यक्रम विकास: पाठ्यक्रम और शिक्षण सामग्री तैयार करने की विधियाँ।

2. बाल विकास और मनोविज्ञान:

  • बाल विकास: बच्चों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास के चरणों का अध्ययन।
  • मनोविज्ञान: बच्चों की मानसिक प्रक्रियाओं और व्यवहार का विश्लेषण।

3. भाषा और गणित शिक्षण:

  • भाषा शिक्षण: भाषा कौशल, पढ़ने और लेखन की विधियाँ।
  • गणित शिक्षण: गणित के मूलभूत concepts और उनकी शिक्षण विधियाँ।

4. सामाजिक और पर्यावरणीय अध्ययन:

  • सामाजिक अध्ययन: समाज, संस्कृति और इतिहास के विषयों पर ध्यान।
  • पर्यावरणीय अध्ययन: पर्यावरण संरक्षण और विकास के विषयों का अध्ययन।

5. शिक्षा में प्रौद्योगिकी:

  • शिक्षा तकनीक: डिजिटल उपकरणों और संसाधनों का उपयोग करके शिक्षा को बेहतर बनाना।
  • ऑनलाइन शिक्षण: ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्म और संसाधनों का उपयोग।

6. व्यावहारिक प्रशिक्षण:

  • कक्षा प्रबंधन: कक्षा में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करना।
  • इंटर्नशिप: स्कूलों में इंटर्नशिप के माध्यम से वास्तविक शिक्षा का अनुभव।

डी.एल.एड की अवधि: D El Ed Full Form In Hindi 

1. कोर्स की सामान्य अवधि:

  • पूर्णकालिक (फुल-टाइम) कोर्स: डी.एल.एड कोर्स की सामान्य अवधि 2 वर्ष होती है। यह कोर्स पूर्णकालिक (फुल-टाइम) मोड में आयोजित किया जाता है, जिसमें नियमित कक्षाएं और व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल होता है।

2. अंशकालिक (पार्ट-टाइम) और दूरस्थ शिक्षा:

  • अंशकालिक (पार्ट-टाइम) कोर्स: कुछ संस्थान अंशकालिक मोड में भी डी.एल.एड प्रदान करते हैं, जिसमें कोर्स की अवधि 2 से 3 वर्ष तक बढ़ सकती है। इस मोड में छात्रों को कक्षा के अलावा अन्य समय में अध्ययन करना होता है।
  • दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग): कुछ विश्वविद्यालय और संस्थान दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से भी डी.एल.एड कोर्स प्रदान करते हैं, जिसकी अवधि 2 से 4 वर्ष तक हो सकती है। इसमें अध्ययन सामग्री और ऑनलाइन कक्षाओं का उपयोग किया जाता है।

3. सम्बंधित अवधि:

  • व्यावहारिक प्रशिक्षण की अवधि: डी.एल.एड कोर्स के अंतर्गत व्यावहारिक प्रशिक्षण (प्रैक्टिकल ट्रेनिंग) की अवधि भी होती है, जो आमतौर पर 1 से 3 महीने के बीच होती है। इसमें छात्रों को वास्तविक स्कूल वातावरण में काम करने का अनुभव मिलता है।

4. पुनरावलोकन और विस्तार:

  • अवधि में विस्तार: यदि कोई छात्र अतिरिक्त समय की आवश्यकता महसूस करता है या कोर्स की आवश्यकताएँ पूरी नहीं कर पाता है, तो कुछ संस्थान अतिरिक्त समय भी प्रदान करते हैं।

5. कोर्स की समाप्ति और प्रमाणन:

  • सर्टिफिकेशन: डी.एल.एड कोर्स की समाप्ति के बाद, छात्रों को एक डिप्लोमा प्रमाणपत्र प्राप्त होता है, जो कोर्स की सफलतापूर्वक समाप्ति का प्रमाण होता है।

डी.एल.एड में विषयों की सूची: D El Ed Full Form In Hindi 

1. शिक्षण विधियाँ और तकनीकें:

  • शिक्षण विधियाँ: पाठ्यक्रम निर्माण, कक्षा प्रबंधन, और शिक्षण विधियों का अध्ययन।
  • शिक्षण तकनीकें: नवीनतम तकनीकों और संसाधनों का उपयोग कर शिक्षा प्रदान करने के तरीके।

2. बाल विकास और मनोविज्ञान:

  • बाल विकास: बच्चों के शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक विकास के सिद्धांत।
  • मनोविज्ञान: बच्चों की मानसिक प्रक्रियाएँ और व्यवहार के अध्ययन।

3. भाषा और गणित शिक्षण:

  • भाषा शिक्षण: भाषा कौशल, पढ़ने, और लेखन की विधियाँ।
  • गणित शिक्षण: गणित के बुनियादी concepts और उनकी शिक्षण विधियाँ।

4. सामाजिक और पर्यावरणीय अध्ययन:

  • सामाजिक अध्ययन: समाज, संस्कृति, और इतिहास पर आधारित विषय।
  • पर्यावरणीय अध्ययन: पर्यावरण संरक्षण और विकास के विषयों का अध्ययन।

5. शिक्षा में प्रौद्योगिकी:

  • शिक्षा तकनीक: डिजिटल उपकरणों और संसाधनों का उपयोग।
  • ऑनलाइन शिक्षण: ऑनलाइन प्लेटफार्म और शिक्षण विधियों का अध्ययन।

6. शिक्षा की मूल बातें:

  • शिक्षा का सिद्धांत: शिक्षा के मूल सिद्धांत और नीतियों का अध्ययन।
  • शिक्षा प्रणाली: विभिन्न शिक्षा प्रणालियाँ और उनकी विशेषताएँ।
 

डी.एल.एड की फीस संरचना: D El Ed Full Form In Hindi 

1. प्रवेश शुल्क:

  • सामान्य प्रवेश शुल्क: डी.एल.एड कोर्स के लिए प्रवेश के समय एक बार का शुल्क लिया जाता है। यह आमतौर पर ₹500 से ₹2000 तक हो सकता है, जो संस्थान पर निर्भर करता है।

2. वेतन शुल्क:

  • सालाना शुल्क: डी.एल.एड कोर्स की सालाना फीस लगभग ₹20,000 से ₹50,000 तक होती है। यह शुल्क पाठ्यक्रम के प्रबंधन, शिक्षण सामग्री, और अन्य सुविधाओं के लिए होता है।
  • अंशकालिक और दूरस्थ शिक्षा: अंशकालिक और दूरस्थ शिक्षा मोड में शुल्क थोड़ा अधिक हो सकता है, जो ₹30,000 से ₹60,000 तक हो सकता है।

3. प्रायोगिक शुल्क:

  • प्रायोगिक शुल्क: व्यावहारिक प्रशिक्षण (प्रैक्टिकल) के लिए अतिरिक्त शुल्क लिया जा सकता है, जो आमतौर पर ₹2000 से ₹5000 तक होता है।

4. पुस्तक और सामग्री शुल्क:

  • पुस्तक और सामग्री: पाठ्यक्रम की पुस्तकों, अध्ययन सामग्री और अन्य संसाधनों के लिए अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है, जो ₹2000 से ₹5000 तक हो सकता है।

5. अन्य शुल्क:

  • सुविधा शुल्क: जैसे कि लाइब्रेरी शुल्क, प्रयोगशाला शुल्क, और अन्य सहायक सुविधाओं के लिए शुल्क, जो ₹1000 से ₹3000 तक हो सकता है।
  • वार्षिक वृद्धि: फीस में सालाना मामूली वृद्धि भी हो सकती है, जो संस्थान के नीतियों पर निर्भर करती है।

डी.एल.एड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) से संबंधित सामान्य प्रश्न

1. डी.एल.एड का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: डी.एल.एड का पूरा नाम “डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन” है। यह एक पेशेवर डिप्लोमा कोर्स है जो प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों को तैयार करता है।

2. डी.एल.एड कोर्स की अवधि कितनी होती है?

उत्तर: डी.एल.एड की सामान्य अवधि 2 वर्ष होती है। यह पूर्णकालिक (फुल-टाइम) मोड में आयोजित किया जाता है, हालांकि कुछ संस्थान अंशकालिक और दूरस्थ शिक्षा मोड में भी कोर्स प्रदान करते हैं।

3. डी.एल.एड में प्रवेश के लिए क्या पात्रता मापदंड हैं?

उत्तर: डी.एल.एड कोर्स के लिए उम्मीदवार को 10+2 (इंटरमीडिएट) परीक्षा में न्यूनतम 50% अंक प्राप्त करने चाहिए। आयु सीमा और अन्य मापदंड राज्य और संस्थान के नियमों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।

4. डी.एल.एड कोर्स की फीस कितनी होती है?

उत्तर: डी.एल.एड कोर्स की फीस आमतौर पर ₹20,000 से ₹50,000 प्रति वर्ष होती है। फीस की राशि संस्थान, मोड (पूर्णकालिक, अंशकालिक, या दूरस्थ) और स्थान के आधार पर भिन्न हो सकती है।

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