Alankar ki Paribhasha : All Types of Alankar and Definition,

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अलंकार भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण और आवश्यक तत्व है जो भाषा को सुंदरता और प्रभावशीलता प्रदान करता है। यह शब्द संस्कृत के “अलं” (श्रृंगार) और “कार” (करना) से मिलकर बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ सजावट या सौंदर्य बढ़ाना है। हिंदी साहित्य में अलंकार की भूमिका (Alankar ki Paribhasha) अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केवल भाषा को ही नहीं, बल्कि विचारों और भावनाओं को भी सजाने का कार्य करता है। अलंकार का प्रयोग कविता, गद्य, नाटक, और अन्य साहित्यिक रचनाओं में किया जाता है, जिससे रचना की अभिव्यक्ति में एक नई छटा और आकर्षण उत्पन्न होता है।

अलंकार की परिभाषा (Alankar ki Paribhasha)

1. अलंकार का शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning of Alankar)

अलंकार शब्द संस्कृत के “अलं” और “कार” से बना है, जहाँ “अलं” का अर्थ सजावट है और “कार” का अर्थ करना है।

शाब्दिक रूप से, अलंकार का मतलब होता है सजावट करना या सौंदर्य बढ़ाना।

यह भाषा और साहित्य में एक प्रकार की सजावट का कार्य करता है।

अलंकार का प्रयोग काव्य और गद्य को सुंदर और प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है।

यह किसी रचना की भावनाओं और विचारों को प्रकट करने का तरीका है।

अलंकार से अभिप्रेत होता है कि शब्दों और विचारों में सजावट की जाए।

यह शब्द साहित्यिक अभिव्यक्ति को आकर्षक बनाने का साधन है।

अलंकार का शाब्दिक अर्थ भारतीय भाषाओं में समान रूप से समझा जाता है।

यह सजावट की विभिन्न विधियों को समेटे हुए होता है।

अलंकार साहित्य में एक प्रकार की सौंदर्यात्मक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।

2. अलंकार की विस्तृत परिभाषा (Detailed Definition of Alankar)

अलंकार वह तत्व है जो किसी भी साहित्यिक रचना को अधिक सुंदर और प्रभावशाली बनाता है।

यह भाषा में विशेष प्रकार की सजावट के माध्यम से भावनाओं और विचारों को प्रकट करता है।

अलंकार का उपयोग कविता और गद्य में शब्दों को सजाने और उन्हें आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है।

यह साहित्यिक रचनाओं की अभिव्यक्ति में सौंदर्य और शक्ति को जोड़ता है।

अलंकार की विभिन्न प्रकार की विधियाँ होती हैं, जैसे अनुप्रास, यमक, उपमा, रूपक, आदि।

यह किसी रचना के भावनात्मक प्रभाव को बढ़ाता है और पाठकों को अधिक गहराई से जोड़ता है।

अलंकार साहित्य में एक ऐसी विधि है जो लेखक के विचारों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करती है।

यह रचनाओं की पाठक पर एक स्थायी छाप छोड़ता है और उनकी समझ को गहरा करता है।

अलंकार साहित्यिक कला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो रचना को अनूठा बनाता है।

हिंदी साहित्य में, अलंकार का प्रयोग कवियों और लेखकों द्वारा किया जाता है ताकि वे अपने विचारों और भावनाओं को सुंदरता के साथ व्यक्त कर सकें।

अलंकार के प्रकार (Types of Alankar ki Paribhasha)

1. अलंकार के प्रमुख प्रकार (Major Types of Alankar)

उपमा (Upma)

उपमा एक प्रकार का अलंकार है जिसमें एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है।
यह तुलना समानता के आधार पर होती है, जैसे “चाँद की तरह चमकदार चेहरा।”
इसका उद्देश्य रचना में सुंदरता और स्पष्टता जोड़ना है।

रूपक (Roopak)

रूपक में एक वस्तु या विचार को पूरी तरह से दूसरी वस्तु या विचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
यह तुलनात्मक या रूपात्मक होता है, जैसे “सत्य की तलवार।”
इसका प्रयोग विचारों को गहराई और प्रभाव देने के लिए किया जाता है।

अनुप्रास (Anupraas)

अनुप्रास में कविता या गद्य में किसी विशेष ध्वनि या स्वर का पुनरावृत्ति होती है।
यह ध्वनि समानता पर आधारित होता है, जैसे “काला घटा, काला बादल।” (Anupraas) इसका उपयोग कविता के संगीत और लय को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

यमक (Yamak)

यमक में एक ही शब्द का विभिन्न अर्थों में प्रयोग होता है।
इसका उद्देश्य शब्दों की विविधता और अर्थ को प्रकट करना है, जैसे “अरे तेरा यार, यार का यार।”
यह अलंकार शब्दों के खेल को दर्शाता है।

अलंकार (Alankar)

अलंकार को सामान्य रूप में एक व्यापक श्रेणी में रखा जाता है जो सभी प्रकार के सजावट और सुंदरता से संबंधित होता है।
यह विभिन्न प्रकार के अलंकारों को एक ही श्रेणी में सम्मिलित करता है।

2. अलंकारों का वर्गीकरण (Classification of Alankars)

ध्वनि अलंकार (Sound Alankar)

इसमें अनुप्रास, यमक, और अनुप्रास की ध्वनि और स्वर के खेल शामिल होते हैं।
ध्वनि अलंकार कविता की लय और संगीत को बढ़ाते हैं।

रूप अलंकार (Figurative Alankar)

इसमें उपमा, रूपक, और अन्य तुलनात्मक अलंकार शामिल होते हैं।
यह अलंकार विचारों और भावनाओं को स्पष्ट और प्रभावशाली बनाने के लिए उपयोग होते हैं।

आयाम अलंकार (Dimensional Alankar)

इसमें विचारों और भावनाओं की गहराई और विस्तार को दर्शाने वाले अलंकार शामिल होते हैं।
यह अलंकार रचनाओं को अधिक गहराई और समझ प्रदान करते हैं।

वर्ण अलंकार (Letter Alankar)

इसमें अक्षरों की पुनरावृत्ति और ध्वनि का विशेष प्रयोग होता है।
यह अलंकार कविता और गद्य की सुंदरता को बढ़ाने के लिए उपयोग होते हैं।

छंद अलंकार (Meter Alankar)

इसमें कविता के छंद और लय के नियमों का पालन किया जाता है।
यह अलंकार कविता की संगीतता और संरचना को बनाए रखने के लिए होता है।

शब्दालंकार (Shabd Alankar ki Paribhasha)

1. शब्दालंकार की परिभाषा (Definition of Shabd Alankar)

शब्दालंकार वह अलंकार है जिसमें शब्दों की विशेषताओं का प्रयोग करके रचना को अधिक सुंदर और प्रभावशाली बनाया जाता है।

यह शब्दों की ध्वनि, स्वर, और अर्थ का विशेष प्रयोग करता है।

शब्दालंकार में शब्दों की पुनरावृत्ति, समानता, और विविधता का प्रयोग होता है।

इसका उद्देश्य कविता और गद्य की लय और संगीत को बढ़ाना होता है।

यह साहित्यिक रचनाओं में शब्दों के खेल और उनके प्रभाव को दिखाने का तरीका है।

शब्दालंकार का उपयोग भाषा के सौंदर्य को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

यह साहित्यिक अभिव्यक्ति को अधिक आकर्षक और मनोरंजक बनाता है।

शब्दालंकार को ध्वनि अलंकार के अंतर्गत भी रखा जा सकता है।

2. शब्दालंकार के उदाहरण (Examples of Shabd Alankar)

अनुप्रास (Alliteration)

उदाहरण: “मधुर मृदु मुस्कान,” यहाँ `म’ ध्वनि की पुनरावृत्ति होती है।

यमक (Pun)

उदाहरण: “खेलना भी जरूरी है, खेल खेलना भी जरूरी है,” यहाँ ‘खेलना’ शब्द का विभिन्न अर्थों में प्रयोग हुआ है।

अर्थानुप्रास (Sound Similarity with Different Meanings)

उदाहरण: “सपना संग संग सजीव,” यहाँ ‘स’ ध्वनि का पुनरावृत्ति है।

रूपक (Metaphor)

उदाहरण: “चाँदनी रात की चाँदनी,” जहाँ ‘चाँदनी’ का रूपक प्रयोग है।

शब्दवृत्त (Word Cycle)

उदाहरण: “सपना सपना, सच्चा सपना,” यहाँ ‘सपना’ शब्द की पुनरावृत्ति है।

सुप्रास (Sound Repetition)

उदाहरण: “सपनों की सुंदरता,” यहाँ ‘स’ ध्वनि की पुनरावृत्ति होती है।

अलंकार (Poetic Ornamentation)

उदाहरण: “सुनहरी सुनहरी शाम,” यहाँ ‘सुनहरी’ शब्द की पुनरावृत्ति और विशेषण का प्रयोग है।

विपरीतार्थ (Contradictory Meaning)

उदाहरण: “सपने देखो, सपनों की दुनिया में,” जहाँ ‘सपने’ शब्द का विपरीत अर्थों में प्रयोग हुआ है। (Contradictory Meaning)

अर्थालंकार (Arth Alankar ki Paribhasha)

1. अर्थालंकार की परिभाषा (Definition of Arth Alankar)

अर्थालंकार वह अलंकार है जिसमें शब्दों के अर्थों के खेल से साहित्यिक रचना को विशेष प्रभावशाली बनाया जाता है।

इसमें शब्दों के अर्थ को बढ़ाकर या बदलकर उनकी सुंदरता और प्रभाव को बढ़ाया जाता है।

यह अलंकार शब्दों के अर्थों की विविधता, समानता या विपरीतता पर आधारित होता है।

अर्थालंकार का उद्देश्य रचना में गहराई और प्रभाव बढ़ाना होता है।

यह अलंकार रचनाओं में विचारों को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।

इसमें शब्दों के अर्थ को बदलकर या जोड़कर एक नई छवि बनाई जाती है।

अर्थालंकार रचनाओं को व्याख्यात्मक और प्रभावी बनाने के लिए प्रयोग होता है।

यह अलंकार कविता और गद्य में भावनाओं और विचारों को विशेष रूप से व्यक्त करने का तरीका है।

अर्थालंकार को विभिन्न प्रकार की साहित्यिक रचनाओं में प्रयोग किया जाता है, जैसे कविता, कहानी, और नाटक।

यह शब्दों के अर्थ की विविधता को दर्शाने और समझाने में सहायक होता है।

2. अर्थालंकार के उदाहरण (Examples of Arth Alankar)

उपमा (Simile)

उदाहरण: “चाँद की तरह चेहरा,” यहाँ ‘चाँद’ और ‘चेहरा’ के बीच तुलना की गई है।

रूपक (Metaphor)

उदाहरण: “दिल का दरवाजा,” यहाँ दिल को दरवाजा के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

अधिकरण (Contextual Meaning)

उदाहरण: “समय की रेत पर लिखा हुआ,” यहाँ ‘समय की रेत’ का अर्थ जीवन के क्षणिकता से है।

विपरीतार्थ (Contradictory Meaning)

उदाहरण: “सपनों की सच्चाई,” जहाँ सपनों की अस्थिरता और सच्चाई के विपरीत अर्थ को दिखाया गया है।

यमक (Pun)

उदाहरण: “तूफान की आँधियाँ,” यहाँ ‘तूफान’ और ‘आँधियाँ’ का अर्थ कई स्तरों पर होता है।

संज्ञा यथार्थ (Literal Meaning of Noun)

उदाहरण: “आग के दरिया में तैरना,” जहाँ ‘आग’ का यथार्थ अर्थ और अभिव्यक्ति का प्रयोग होता है।

संवेदनात्मक अर्थ (Emotional Meaning)

उदाहरण: “हवा की लोरी,” यहाँ हवा का भावनात्मक अर्थ दर्शाया गया है।

विपरीतार्थ अनुप्रास (Opposite Meaning in Alliteration)

उदाहरण: “दुख के दीप,” जहाँ ‘दुख’ और ‘दीप’ का विपरीतार्थ प्रयोग किया गया है।

प्रकारात्मक अर्थ (Categorical Meaning)

उदाहरण: “संसार का रंगमंच,” जहाँ ‘रंगमंच’ का प्रयोग जीवन की विविधताओं को दर्शाने के लिए होता है।

संविधानिक अर्थ (Constitutional Meaning)

उदाहरण: “सपनों की नींद,” यहाँ ‘सपनों’ और ‘नींद’ का अर्थ एक विशेष प्रकार से प्रस्तुत किया गया है।

अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar ki Paribhasha)

1. अनुप्रास अलंकार की परिभाषा (Definition of Anupras Alankar)

अनुप्रास अलंकार वह अलंकार है जिसमें कविता या गद्य में किसी विशेष ध्वनि या स्वर की पुनरावृत्ति होती है।

इसमें एक ही ध्वनि या स्वर का बार-बार प्रयोग किया जाता है, जिससे रचना में एक विशेष लय और संगीतता आती है।

अनुप्रास अलंकार का उद्देश्य पाठक या श्रोता को रचना के संगीत और लय से जोड़ना है।

यह अलंकार विशेष ध्वनि की विशेषता को बढ़ाकर कविता या गद्य की सुंदरता और प्रभाव को बढ़ाता है।

अनुप्रास अलंकार में ध्वनि की समानता और पुनरावृत्ति से रचना को एक संगीतात्मक और सुसंगत स्वरूप दिया जाता है।

2. अनुप्रास अलंकार के उदाहरण (Examples of Anupras Alankar)

रूपक ध्वनि (Repeated Sound)

उदाहरण: “सपनों की सर्दी, सपनों की रातें।”
यहाँ ‘स’ ध्वनि की पुनरावृत्ति की गई है।

स्वर समानता (Sound Similarity)

उदाहरण: “कृष्ण की कली, कली की खुशबू।”
यहाँ ‘क’ ध्वनि की पुनरावृत्ति है।

मूल ध्वनि का खेल (Basic Sound Play)

उदाहरण: “मधुर मिलन की मिलन, मधुर मल्हार की मस्तियाँ।”
यहाँ ‘म’ ध्वनि की पुनरावृत्ति होती है।

ध्वनि की लहर (Sound Waves)

उदाहरण: “नीर नीला, निर्झर बहा।”
यहाँ ‘न’ ध्वनि की पुनरावृत्ति से लय और संगीतता आई है।

ध्वनि का प्रभाव (Sound Effect)

उदाहरण: “हवा में हसरतें, हवाओं की हरकतें।”
यहाँ ‘ह’ ध्वनि की पुनरावृत्ति की गई है।

पुनरावृत्ति (Repetition)

उदाहरण: “सपनों की सपनाएँ, सपनों की कहानी।”
यहाँ ‘सपनों’ शब्द की पुनरावृत्ति होती है।

स्वर संयोजन (Sound Combination)

उदाहरण: “रात की रौशनी, रौशनी का रहस्य।”
यहाँ ‘र’ ध्वनि की पुनरावृत्ति की गई है।

ध्वनि का संगीति (Sound Harmony)

उदाहरण: “चाँदनी की चमक, चाँद की चाँदनी।”
यहाँ ‘चाँद’ और ‘चाँदनी’ शब्दों की ध्वनि की समानता है।

लयात्मक ध्वनि (Rhythmic Sound)

उदाहरण: “बूँदों की बूँद, बूँदों की बुनाई।”
यहाँ ‘बूँद’ शब्द की पुनरावृत्ति होती है।

ध्वनि की गूंज (Echoing Sound)

उदाहरण: “सपनों की सतरंगी, सतरंगी सपनों की सुरभि।”
यहाँ ‘स’ ध्वनि की पुनरावृत्ति से गूंज और लय उत्पन्न होती है।

उपमा अलंकार (Upma Alankar ki Paribhasha)

1. उपमा अलंकार की परिभाषा (Definition of Upma Alankar)

उपमा अलंकार वह अलंकार है जिसमें एक वस्तु, व्यक्ति, या विचार की तुलना किसी अन्य वस्तु, व्यक्ति, या विचार से की जाती है।

इसमें तुलना की जाती है ताकि एक वस्तु की विशेषता या गुण को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जा सके।

उपमा अलंकार का उद्देश्य किसी वस्तु या विचार की विशेषता को स्पष्ट और सुंदर तरीके से प्रस्तुत करना है।

यह अलंकार समानता या मिलान के आधार पर होता है, जैसे कि “चाँद की तरह चमकदार चेहरा।”

उपमा में एक वस्तु को दूसरी वस्तु के समान बताया जाता है, जिससे उसकी सुंदरता या गुण को उजागर किया जाता है।

2. उपमा अलंकार के उदाहरण (Examples of Upma Alankar)

चाँद की उपमा

उदाहरण: “उसका चेहरा चाँद की तरह चमकदार है।”
यहाँ चेहरे की सुंदरता की तुलना चाँद की चमक से की गई है।

सूरज की उपमा

उदाहरण: “उसकी हँसी सूरज की तरह उज्ज्वल है।”
यहाँ हँसी की चमक और उजाला सूरज से जोड़ा गया है।

सितारे की उपमा

उदाहरण: “उसकी आँखें सितारों की तरह चमकती हैं।”
यहाँ आँखों की चमक की तुलना सितारों से की गई है।

गुलाब की उपमा

उदाहरण: “उसका व्यक्तित्व गुलाब के फूल जैसा सौम्य है।”
यहाँ व्यक्तित्व की कोमलता और सौम्यता की तुलना गुलाब से की गई है।

सपना की उपमा

उदाहरण: “उसकी बातें एक सुंदर सपने की तरह लगती हैं।”
यहाँ बातों की सुंदरता और आकर्षण की तुलना सपने से की गई है।

सागर की उपमा

उदाहरण: “उसकी आँखें सागर की गहराई जैसी हैं।”
यहाँ आँखों की गहराई और रहस्य की तुलना सागर से की गई है।

बर्फ की उपमा

उदाहरण: “उसका मन बर्फ की तरह ठंडा और शांत है।”
यहाँ मन की शांति और ठंडक की तुलना बर्फ से की गई है।

चमक की उपमा

उदाहरण: “उसकी आँखें चमकदार मोती की तरह हैं।”
यहाँ आँखों की चमक और स्फूर्ति की तुलना मोती से की गई है।

वन की उपमा

उदाहरण: “उसका ह्रदय एक घने वन की तरह समृद्ध है।”
यहाँ ह्रदय की समृद्धि और विस्तार की तुलना वन से की गई है।

धूप की उपमा

उदाहरण: “उसका चेहरा धूप की तरह गर्म और उज्ज्वल है।”
यहाँ चेहरे की गर्माहट और उज्जवलता की तुलना धूप से की गई है।

रूपक अलंकार (Rupak Alankar ki Paribhasha)

1. रूपक अलंकार की परिभाषा (Definition of Rupak Alankar)

रूपक अलंकार वह अलंकार है जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति, या विचार की वास्तविकता को छोड़कर उसे किसी अन्य वस्तु, व्यक्ति, या विचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

इसमें वस्तु या विचार की तुलना एक वास्तविकता के रूप में की जाती है, जिससे उसका भावनात्मक या प्रतीकात्मक प्रभाव बढ़ जाता है।

रूपक अलंकार में एक वस्तु या विचार को किसी अन्य वस्तु या विचार के रूप में पेश किया जाता है, ताकि उसकी विशेषता या गुण को उजागर किया जा सके।

यह अलंकार रूपात्मक समकक्षता के आधार पर होता है, जिसमें दोनों तत्वों के बीच समानता होती है।
रूपक अलंकार का उद्देश्य कविता या गद्य में एक विशेष छवि और अर्थ को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करना होता है।

2. रूपक अलंकार के उदाहरण (Examples of Rupak Alankar)

सागर का रूपक

उदाहरण: “उसका दिल एक सागर की गहराई जैसा है।”
यहाँ दिल की गहराई और रहस्य को सागर के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

फूल का रूपक

उदाहरण: “उसकी मुस्कान एक सुंदर फूल की तरह खिली हुई है।”
यहाँ मुस्कान की सुंदरता और कोमलता को फूल के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

सूरज का रूपक

उदाहरण: “उसकी शक्ति सूरज की तरह प्रचंड है।”
यहाँ शक्ति की प्रचंडता को सूरज के रूप में व्यक्त किया गया है।

धूप का रूपक

उदाहरण: “उसकी बातें धूप की तरह गर्म और उज्ज्वल हैं।”
यहाँ बातों की गर्माहट और उज्जवलता को धूप के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

पर्वत का रूपक

उदाहरण: “उसकी शख्सियत एक पर्वत की तरह स्थिर और दृढ़ है।”
यहाँ शख्सियत की स्थिरता और दृढ़ता को पर्वत के रूप में व्यक्त किया गया है।

सपना का रूपक

उदाहरण: “उसकी योजनाएँ एक सुंदर सपने जैसी हैं।”
यहाँ योजनाओं की सुंदरता और आकर्षण को सपने के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

आग का रूपक

उदाहरण: “उसका उत्साह आग की तरह जलता है।”
यहाँ उत्साह की तीव्रता और गर्मी को आग के रूप में व्यक्त किया गया है।

चाँद का रूपक

उदाहरण: “उसकी आँखें चाँद की तरह चमकदार हैं।”
यहाँ आँखों की चमक को चाँद के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

वृक्ष का रूपक

उदाहरण: “उसकी शिक्षाएँ एक विशाल वृक्ष की तरह फलदायी हैं।”
यहाँ शिक्षाओं की व्यापकता और फलदायिता को वृक्ष के रूप में व्यक्त किया गया है।

धार का रूपक

उदाहरण: “उसका निर्णय एक धार की तरह तीव्र और निर्णायक है।”
यहाँ निर्णय की तीव्रता और स्पष्टता को धार के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

यमक अलंकार (Yamak Alankar ki Paribhasha)

1. यमक अलंकार की परिभाषा (Definition of Yamak Alankar)

यमक अलंकार वह अलंकार है जिसमें एक ही शब्द या ध्वनि का दो या दो से अधिक बार उपयोग किया जाता है, लेकिन प्रत्येक बार उसका अर्थ भिन्न होता है।

इसमें शब्द या ध्वनि की पुनरावृत्ति के माध्यम से एक विशेष लय और प्रभाव उत्पन्न किया जाता है।
यमक अलंकार का उद्देश्य रचना में विशेष ध्वनि प्रभाव और अर्थ की विविधता को जोड़ना होता है।

यह अलंकार एक ही शब्द के विभिन्न अर्थों का प्रयोग करके कविता या गद्य को रंगीन और प्रभावशाली बनाता है।

यमक अलंकार के प्रयोग से कविता या गद्य में शब्दों की गहराई और भावनात्मक प्रभाव बढ़ जाता है।

2. यमक अलंकार के उदाहरण (Examples of Yamak Alankar)

गौरव की उपमा

उदाहरण: “गौरव ने गौरव का दिखाया।”
यहाँ ‘गौरव’ शब्द का दो बार उपयोग किया गया है, एक बार व्यक्तिगत नाम और दूसरी बार गर्व के अर्थ में।

जल का यमक

उदाहरण: “जल का जल, जीवन का जल।”
यहाँ ‘जल’ शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है, एक बार पानी के अर्थ में और दूसरी बार जीवनदायिनी के अर्थ में।

दिल का यमक

उदाहरण: “दिल में दिल का दर्द है।”
यहाँ ‘दिल’ शब्द का प्रयोग दो बार किया गया है, एक बार शारीरिक अंग के रूप में और दूसरी बार भावनात्मक दर्द के संदर्भ में।

सपना का यमक

उदाहरण: “सपना देखा, सपना पूरा हुआ।”
यहाँ ‘सपना’ शब्द का दो बार उपयोग किया गया है, एक बार स्वप्न के अर्थ में और दूसरी बार वास्तविकता के संदर्भ में।

चाँद का यमक

उदाहरण: “चाँद की चाँदनी, चाँद का प्रकाश।”
यहाँ ‘चाँद’ शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है, एक बार चाँदनी के अर्थ में और दूसरी बार चाँद के प्रकाश के संदर्भ में।

प्यार का यमक

उदाहरण: “प्यार में प्यार का मतलब समझा।”
यहाँ ‘प्यार’ शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है, एक बार भावनात्मक प्यार के रूप में और दूसरी बार प्यार के अर्थ के संदर्भ में।

सूरज का यमक

उदाहरण: “सूरज की सूरज से धूप।”
यहाँ ‘सूरज’ शब्द का दो बार उपयोग किया गया है, एक बार सूर्य के अर्थ में और दूसरी बार उसकी धूप के संदर्भ में।

Freqently Asked Questions (FAQs)

1. यमक अलंकार क्या है?

यमक अलंकार वह अलंकार है जिसमें एक ही शब्द या ध्वनि का दो या अधिक बार उपयोग किया जाता है, लेकिन हर बार उसका अर्थ भिन्न होता है।

2. यमक अलंकार का उद्देश्य क्या है?

यमक अलंकार का उद्देश्य रचना में विशेष ध्वनि प्रभाव और अर्थ की विविधता को जोड़ना है, जिससे कविता या गद्य में गहराई और प्रभाव बढ़े।

3. यमक अलंकार कैसे काम करता है?

यह अलंकार शब्द की पुनरावृत्ति के माध्यम से एक विशेष लय और अर्थ उत्पन्न करता है, जिससे कविता या गद्य को रंगीन और प्रभावशाली बनाया जाता है।

4. यमक अलंकार के उदाहरण क्या हैं?

“दिल में दिल का दर्द है।”
“जल का जल, जीवन का जल।”

5. यमक अलंकार का उपयोग कहाँ किया जाता है?

यह अलंकार कविता, गद्य, और साहित्यिक रचनाओं में विशेष ध्वनि प्रभाव और अर्थ की विविधता को प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

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