Alankar ki Paribhasha – Prakar, Vistaar, Vishesh Alankar

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अलंकार भाषा (Alankar ki Paribhasha) में उन विशेषताओं को कहा जाता है, जो शब्दों या वाक्यों की सुंदरता, प्रभाव और आकर्षण को बढ़ाते हैं। यह साहित्यिक अभिव्यक्ति को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से अधिक प्रभावी बनाने में मदद करता है।

Alankar ki Paribhasha – Alankar ka Vistaar

अलंकार का विस्तार

  1. अलंकार का महत्व अलंकार साहित्य की सुंदरता और प्रभाव को बढ़ाता है। यह न केवल कविता को आकर्षक बनाता है, बल्कि पाठक या श्रोता के मन में गहरी छाप भी छोड़ता है।
  2. अलंकार की उत्पत्ति अलंकार संस्कृत साहित्य से उत्पन्न हुआ है, लेकिन इसे भारतीय साहित्य के विभिन्न रूपों में अपनाया गया और समय के साथ विकसित हुआ।
  3. अलंकार के प्रकार अलंकार को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
    • श्रृंगारी अलंकार (जैसे अनुप्रास, रुद्राक्ष)
    • वर्णात्मक अलंकार (जैसे रूपक, उत्प्रेक्षा)
  4. रूपक अलंकार जब किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से की जाती है, तो उसे रूपक अलंकार कहा जाता है। उदाहरण: “वह शेर जैसा साहसी है।”
  5. अनुप्रास अलंकार यह अलंकार एक ही ध्वनि या ध्वनियों के पुनरावृत्ति पर आधारित होता है। उदाहरण: “कितनी कठिनाई में तुम्हें कब कोई खुशी होगी?”
  6. उत्प्रेक्षा अलंकार इसमें किसी वस्तु या घटना के प्रतीक के रूप में अन्य भावनाओं या भावों का चित्रण किया जाता है। उदाहरण: “मनुष्य की काया जैसे पत्थर की मूर्ति।”
  7. रूपक अलंकार रूपक अलंकार में किसी वस्तु को उसका वास्तविक रूप छोड़कर, उसके समकक्ष किसी अन्य रूप से प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण: “सूरज की किरणें रत्न जैसी चमकती हैं।”
  8. विपरीत अलंकार विपरीत अलंकार में एक ही शब्द का विपरीत अर्थ में प्रयोग किया जाता है। उदाहरण: “सचमुच वह आदमी बहुत अच्छा था, पर उसका व्यवहार घृणास्पद था।”
  9. समानार्थक अलंकार समानार्थक शब्दों या वाक्यों का प्रयोग कविता में अधिक रंग और विविधता लाने के लिए किया जाता है। उदाहरण: “वह झील के किनारे एक ताजे फूल जैसा खिला हुआ था।”
  10. सार्थकता की वृद्धि अलंकार न केवल काव्यात्मकता को बढ़ाता है बल्कि संदेश की सार्थकता को भी गहरा करता है, जिससे पाठक का ध्यान पूरी तरह से जुड़ा रहता है और विचारों की गहराई महसूस होती है।

Alankar ki Paribhasha – Alankar ki Prakar

अलंकार की प्रकार

  1. श्रृंगारी अलंकार (Figurative Alankar)
    यह अलंकार भावनाओं, विचारों और अभिव्यक्तियों को सुंदर बनाने के लिए शब्दों या वाक्यों की सजावट में मदद करता है। इसे दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है:
    • अनुप्रास
    • रूपक
  2. अनुप्रास अलंकार (Alliteration) जब किसी कविता या गद्य में किसी विशेष ध्वनि का पुनरावृत्ति होती है, तो उसे अनुप्रास अलंकार कहा जाता है।
    उदाहरण: “सागर के संकुल समंदर में”
    यहाँ ‘स’ ध्वनि की पुनरावृत्ति की जा रही है।
  3. रूपक अलंकार (Metaphor) जब किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से की जाती है और वह बिना “जैसा” या “के जैसे” शब्द के प्रयोग से होती है, तो इसे रूपक अलंकार कहा जाता है।
    उदाहरण: “वह शेर जैसा साहसी है।”
  4. उत्प्रेक्षा अलंकार (Simile) इसमें किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से की जाती है, लेकिन “जैसा”, “के जैसा” जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
    उदाहरण: “वह नयनाभिराम रूप से सुंदर है, जैसे चाँद की रौशनी।”
  5. आश्रय अलंकार (Personification) यह अलंकार निर्जीव वस्तुओं या विचारों को जीवित, संवेदनशील या मानवीय गुणों से जोड़ने का काम करता है।
    उदाहरण: “वह सूरज की किरणें मुस्करा रही थीं।”
  6. विपरीत अलंकार (Oxymoron) यह अलंकार दो विपरीत विचारों या शब्दों को एक साथ जोड़ने का कार्य करता है।
    उदाहरण: “यह झूठी सच्चाई है।”
  7. आलोचना अलंकार (Hyperbole) इसमें किसी वस्तु या घटना को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जाता है।
    उदाहरण: “आसमान से ज्यादा ऊँचा मेरा सपना है।”
  8. समानार्थक अलंकार (Synonym) यह अलंकार समानार्थक शब्दों का प्रयोग करके विचारों या भावनाओं को और भी रंगीन और विस्तृत बनाता है।
    उदाहरण: “वह महान, उत्कृष्ट और आदर्श व्यक्ति है।”
  9. श्लेष अलंकार (Pun) इसमें एक ही शब्द के दो अर्थों का प्रयोग किया जाता है, जिससे एक ही वाक्य में कई अर्थ निहित होते हैं।
    उदाहरण: “राज को पेड़ के नीचे बैठना बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि वह उसके लिए सुखद छांव है।”
  10. यमक अलंकार (Repetition) इस अलंकार में किसी शब्द या वाक्यांश का पुनरावृत्ति होती है, जिससे वह अधिक प्रभावी और गूढ़ बनता है।
    उदाहरण: “दुनिया में बहुत कुछ बदल चुका है, मगर दुनिया का बदलना नहीं बदला।”

Alankar ki Paribhasha – Classification

अलंकार का वर्गीकरण

अलंकार का वर्गीकरण मुख्यतः दो प्रकारों में किया जाता है:

1. व्यक्तिगत अलंकार (Figures of Speech)

व्यक्तिगत अलंकार उन अलंकारों को कहा जाता है, जिनमें किसी विचार या भावना को सीधे तौर पर व्यक्त करने के बजाय उसका एक रूपक या चित्रण किया जाता है। ये अलंकार शब्दों को सजाने और भावनाओं को प्रकट करने में मदद करते हैं।

प्रमुख व्यक्तिगत अलंकार:

  • रूपक अलंकार (Metaphor)
  • उत्प्रेक्षा अलंकार (Simile)
  • अनुप्रास अलंकार (Alliteration)
  • श्लेष अलंकार (Pun)
  • आश्रय अलंकार (Personification)

2. अर्थगत अलंकार (Types based on Meaning)

अर्थगत अलंकार में उन शब्दों या वाक्यों का प्रयोग किया जाता है, जो किसी विचार या घटना के वास्तविक अर्थ को बढ़ाते हैं। यह अलंकार भाषाई अर्थ को सशक्त और सुंदर बनाता है।

प्रमुख अर्थगत अलंकार:

  • यमक अलंकार (Repetition)
  • विपरीत अलंकार (Oxymoron)
  • आलोचना अलंकार (Hyperbole)
  • समानार्थक अलंकार (Synonym)
  • शक्ति अलंकार (Intensity)

इन अलंकारों का मुख्य उद्देश्य किसी भी लेख, कविता या साहित्यिक रचना को अधिक प्रभावशाली और आकर्षक बनाना होता है। अलंकारों के प्रयोग से भाषा में एक नया आयाम जुड़ता है, जिससे पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

Alankar ki Paribhasha – Vishesh Alankar

 

विशेष अलंकार (Special Figures of Speech)

विशेष अलंकार वे अलंकार होते हैं जो सामान्य अलंकारों से भिन्न होते हुए विशेष प्रकार के भाव या अर्थ को व्यक्त करते हैं। ये अलंकार किसी विशेष भाव, विचार या स्थिति को विशेष रूप से व्यक्त करने में मदद करते हैं।

प्रमुख विशेष अलंकार:

  1. अनुप्रास अलंकार (Alliteration) जब किसी कविता, गद्य या वाक्य में किसी विशेष ध्वनि का पुनरावृत्ति होती है, तो इसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं।
    • उदाहरण: “सपने से सजे सितारे सागर में हैं।” (यहां ‘स’ ध्वनि की पुनरावृत्ति हो रही है।)
  2. रूपक अलंकार (Metaphor) यह अलंकार किसी वस्तु, व्यक्ति या घटना का किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से बिना ‘जैसा’, ‘के जैसे’ शब्दों के प्रयोग से तुलना करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
    • उदाहरण: “वह जंगल का शेर है।” (यहां शेर से साहस का संकेत है।)
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार (Simile) इसमें किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से की जाती है, लेकिन “जैसा”, “के जैसे” शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
    • उदाहरण: “वह फूलों जैसा सुंदर है।”
  4. श्लेष अलंकार (Pun) श्लेष अलंकार में एक ही शब्द का दो अलग-अलग अर्थों में प्रयोग किया जाता है, जिससे वाक्य या कविता में गहरा अर्थ निकलता है।
    • उदाहरण: “साधारण कार्य में साधक की साधना का फल है।”
  5. आश्रय अलंकार (Personification) यह अलंकार निर्जीव वस्तु को मानव गुणों से संबंधित करता है, जैसे वह जीवित हो।
    • उदाहरण: “सूरज की किरणें खुशी से मुस्करा रही थीं।”
  6. विपरीत अलंकार (Oxymoron) इस अलंकार में एक ही वाक्य में विपरीत अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
    • उदाहरण: “यह शांत युद्ध है।”
  7. यमक अलंकार (Repetition) इसमें किसी शब्द या वाक्यांश का पुनरावृत्ति की जाती है, जिससे विचार या भाव को अधिक प्रभावी रूप में व्यक्त किया जाता है।
    • उदाहरण: “वह बहुत अच्छा है, बहुत अच्छा है।”
  8. आलोचना अलंकार (Hyperbole) इसमें किसी विचार, वस्तु या घटना को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है।
    • उदाहरण: “मैंने तो दस पहाड़ चढ़ डाले, तब जाकर वह जगह मिली।”

Alankar ki Paribhasha – Importance

 

अलंकार का महत्व (Importance of Alankar)

  1. भाषा की सुंदरता में वृद्धि अलंकार भाषा को सुन्दर और आकर्षक बनाते हैं। इनके प्रयोग से शब्दों की सामान्यता में विशेषता आती है और पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
  2. भावनाओं और विचारों का प्रभावी प्रसार अलंकारों का सही प्रयोग विचारों और भावनाओं को अधिक प्रभावी तरीके से व्यक्त करता है। यह पाठक को लेखक के मनोभाव और संदेश को स्पष्ट रूप से समझने में मदद करता है।
  3. काव्य रचनाओं में रंग भरना कविता और गद्य रचनाओं में अलंकारों का प्रयोग उसकी रसात्मकता और सौंदर्य को बढ़ाता है। यह कविता को सूक्ष्म, गहरे और प्रभावशाली बना देता है।
  4. साहित्यिक उत्कृष्टता का संकेत अलंकारों का प्रयोग साहित्यिक उत्कृष्टता की पहचान मानी जाती है। यह लेखन को अधिक रचनात्मक, कल्पनाशील और धाराप्रवाह बनाता है।
  5. अर्थ की गहराई में वृद्धि अलंकार शब्दों के अर्थ में गहराई लाते हैं, जिससे एक साधारण विचार को भी नया आयाम मिलता है। इससे पाठक या श्रोता को अधिक विचार करने और अर्थों को समझने का अवसर मिलता है।
  6. विवरण में संक्षिप्तता और सटीकता अलंकारों के प्रयोग से विचारों को संक्षेप और सटीक तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। एक ही शब्द या वाक्य में कई अर्थ और विचार निहित हो सकते हैं।
  7. रचनात्मकता और कलात्मकता का विकास अलंकार लेखक की रचनात्मकता और कलात्मकता को दर्शाता है। यह किसी लेखक की सृजनात्मक शक्ति और भाषा की कला को उजागर करता है।
  8. स्मरणीयता (Memorability) अलंकारों का प्रभावकारी प्रयोग रचनाओं को यादगार बनाता है। अलंकारों से भरपूर वाक्य अधिक प्रभावशाली और आसानी से याद रखे जाते हैं।
  9. सुनने और पढ़ने का आनंद बढ़ाना अलंकार सुनने और पढ़ने में आनंद प्रदान करते हैं। विशेष रूप से काव्य या गीतों में इनका प्रयोग इसे आकर्षक और दिलचस्प बना देता है।
  10. संवेदनाओं की अभिव्यक्ति अलंकार संवेदनाओं और आंतरिक भावनाओं की गहरी अभिव्यक्ति का माध्यम होते हैं। ये किसी संवेदना या स्थिति को व्यक्त करने के लिए सही शब्दों की शक्ति का विस्तार करते हैं।



Alankar ki Paribhasha – Alankar aur Sahitya

 
अलंकारसाहित्य में महत्व
सौंदर्य और आकर्षणअलंकार शब्दों और वाक्यों को आकर्षक और सुंदर बनाते हैं, जिससे साहित्य में गहराई और रंग भरता है।
भावनाओं की अभिव्यक्तिअलंकार विचारों और भावनाओं को प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करते हैं, जिससे साहित्य में जीवन और ऊर्जा आती है।
रचनात्मकता में वृद्धिअलंकार लेखक की रचनात्मकता और कल्पना को उभारते हैं, जिससे साहित्य में नवाचार और विविधता आती है।
साहित्यिक रस और आनंदअलंकार साहित्य में रस (रहस्य, भव्यता, आदि) उत्पन्न करते हैं, जिससे पढ़ने का आनंद बढ़ता है।
संदेश को प्रभावी बनानाअलंकार विचारों को संक्षिप्त और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे संदेश को सही तरीके से व्यक्त किया जाता है।
स्मरणीयता में वृद्धिअलंकारों के प्रयोग से साहित्य रचनाएँ यादगार बनती हैं, जो लंबे समय तक श्रोताओं और पाठकों के मन में रहती हैं।
समान्य शब्दों में गहराई लानाअलंकार साधारण शब्दों या विचारों में गहराई और नयापन लाते हैं, जिससे साहित्य में एक नया दृष्टिकोण मिलता है।
साहित्यिक उत्कृष्टता का संकेतअलंकार का उपयोग साहित्यिक उत्कृष्टता को दिखाता है, जिससे रचनाओं में विशेषता और महानता प्रकट होती है।
सम्बंध और तुलना को व्यक्त करनाअलंकार समानता या विरोधाभास के माध्यम से विचारों और भावनाओं को गहरे और स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं।
ध्वनि और लय का प्रयोगअलंकार ध्वनि, लय और संगीत के रूप में साहित्य में एक विशिष्ट छाप छोड़ते हैं, जिससे पढ़ने या सुनने में आनंद आता है।

Alankar ki Paribhasha – Modern Uses

 

आधुनिक संदर्भ में अलंकार का उपयोग (Modern Uses of Alankar)

  1. साहित्यिक रचनाओं में
    • आज भी साहित्य में अलंकार का उपयोग किया जाता है, खासकर कविता और गीतों में। यह शब्दों को आकर्षक और प्रभावशाली बनाता है, जिससे रचनाओं में भावनाओं का गहरा प्रभाव पड़ता है।
  2. संचार और विज्ञापन में
    • विज्ञापनों में और डिजिटल मीडिया में अलंकार का प्रयोग संदेश को अधिक आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, जिंगल्स और टैगलाइन में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग काफी सामान्य है।
  3. संगीत और गाने
    • आधुनिक संगीत, खासकर गाने, में अलंकार का व्यापक प्रयोग होता है। गाने के बोलों में उपमेय, रूपक और अनुप्रास अलंकारों का इस्तेमाल दर्शकों की भावनाओं को जोड़ने और संगीत को प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है।
  4. राजनीतिक भाषणों में
    • राजनेता अपने भाषणों में अलंकार का उपयोग अपने संदेश को प्रभावशाली और प्रेरणादायक बनाने के लिए करते हैं। यह श्रोताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ने का एक तरीका बनता है।
  5. टीवी और फिल्म संवादों में
    • फिल्म, टीवी शो, और नाटकों में संवादों के दौरान अलंकारों का प्रयोग पात्रों की भावनाओं और संदेश को प्रभावी ढंग से दर्शाने के लिए किया जाता है।
  6. सोशल मीडिया में
    • सोशल मीडिया पर पोस्ट, स्टेटस, और कैप्शन में अलंकारों का उपयोग बढ़ गया है। यह पोस्ट को आकर्षक, दिलचस्प और ज्यादा ध्यान आकर्षित करने वाला बनाता है।
  7. शब्दकला और साहित्यिक आयोजनों में
    • कविता पाठ, मुशायरे, और साहित्यिक आयोजनों में अलंकार का प्रयोग रचनाओं को प्रभावशाली और विशेष बनाने के लिए किया जाता है। यह रचनाकारों को उनके विचारों को प्रस्तुत करने के लिए एक सशक्त उपकरण प्रदान करता है।
  8. विज्ञापन और ब्रांडिंग में
    • ब्रांड नाम, विज्ञापनों और प्रमोशनल सामग्री में अलंकार का उपयोग ब्रांड की पहचान को बनाने और ग्राहकों के बीच आकर्षण उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
  9. लेखन में नयापन
    • लेखकों द्वारा अलंकारों का उपयोग अपनी रचनाओं में नयापन और गहराई लाने के लिए किया जाता है। यह साहित्य को आधुनिक दृष्टिकोण से भी जुड़ा हुआ और आकर्षक बनाता है।
  10. शिक्षा में
    • छात्रों को भाषा और साहित्य के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है। यह शिक्षा को दिलचस्प और प्रभावशाली बनाता है, खासकर काव्य लेखन में।

Alankar ki Paribhasha – Relevance

 

अलंकार की प्रासंगिकता (Relevance of Alankar)

  1. भाषाई सौंदर्य में योगदान
    • अलंकार भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावी बनाते हैं, जिससे न केवल साहित्यिक रचनाओं में बल्कि सामान्य संवाद में भी सौंदर्य और लय का अनुभव होता है। यह रचनाओं को जीवंत और दिलचस्प बनाता है।
  2. भावनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति
    • अलंकार विचारों और भावनाओं को अधिक प्रभावी तरीके से व्यक्त करने में मदद करते हैं। यह लेखक और पाठक के बीच एक गहरे संवेदनात्मक जुड़ाव का निर्माण करते हैं, जिससे साहित्य में एक नया आयाम जुड़ता है।
  3. साहित्यिक विविधता और गहराई
    • अलंकार रचनाओं में विविधता और गहराई लाते हैं। ये साधारण विचारों को जटिल और सुंदर बनाते हैं, जिससे पाठक या श्रोता को नए दृष्टिकोण और विचार प्राप्त होते हैं।
  4. रचनात्मकता और कलात्मकता का बढ़ावा
    • अलंकार लेखक की रचनात्मकता और कलात्मक क्षमता को दर्शाते हैं। यह लेखन को सशक्त, विविध और अधिक कल्पनाशील बनाते हैं। साहित्य में कलात्मकता और सौंदर्य का जोड़ रचनाकारों को उनकी कला के प्रति और अधिक प्रेरित करता है।
  5. स्मरणीयता और प्रभाव
    • अलंकार रचनाओं को यादगार और प्रभावी बनाते हैं। उनका सही उपयोग पाठक या श्रोता के मन में गहरी छाप छोड़ता है और यह उन्हें लंबे समय तक याद रहता है। उदाहरण के तौर पर, कविता या गीतों में अलंकार अक्सर दर्शकों के मन में बैठ जाते हैं।
  6. सार्थकता और स्पष्टता में वृद्धि
    • अलंकारों का प्रयोग विचारों को अधिक स्पष्ट और सार्थक रूप में व्यक्त करने में मदद करता है। ये शब्दों के माध्यम से गहरे और विस्तृत अर्थ का संप्रेषण करते हैं, जिससे लेखक के संदेश को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।
  7. आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता
    • चाहे वह कविता हो, गीत हो या विज्ञापन, अलंकार आज भी बहुत प्रासंगिक हैं। वे आधुनिक साहित्य और संवाद को भी प्रभावी बनाते हैं, और सोशल मीडिया, फिल्म और राजनीति में भी इनका व्यापक उपयोग किया जा रहा है।
  8. संवेदनाओं का गहरा प्रभाव
    • अलंकार न केवल विचारों बल्कि संवेदनाओं को भी गहरे और स्पष्ट रूप में व्यक्त करने में मदद करते हैं। इसके माध्यम से लेखक अपने पाठकों से एक भावनात्मक जुड़ाव स्थापित कर सकते हैं।
  9. साहित्यिक उत्कृष्टता का प्रतीक
    • अलंकार साहित्यिक उत्कृष्टता का प्रतीक माने जाते हैं। यह रचनाओं को विशेष और शानदार बनाते हैं, और उन्हें साहित्यिक मानक पर खड़ा करते हैं।
  10. शिक्षा में प्रभाव
    • अलंकारों का प्रयोग शिक्षा में छात्रों को भाषा के प्रति रुचि और समझ को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह उन्हें बेहतर लेखक और संवादक बनाने में मदद करता है, जिससे वे प्रभावी ढंग से अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं।



Freqently Asked Questions (FAQs)

1. अलंकार क्या है?

अलंकार एक साहित्यिक उपकरण है, जो शब्दों या वाक्यों को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए उनका रूपांतरण करता है। इसका उद्देश्य भाषा में सौंदर्य, गहराई और भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करना है।

2. अलंकार के कितने प्रकार होते हैं?

अलंकार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

  • शब्दालंकार (जैसे अनुप्रास, अनुप्रयुक्ति, यमक)
  • भावालंकार (जैसे रूपक, उपमेय, व्यक्तिप्रत्यय)

3. अलंकार का साहित्य में क्या महत्व है?

अलंकार साहित्य में सौंदर्य और भावनाओं की गहरी अभिव्यक्ति लाने का कार्य करते हैं। ये रचनाओं को आकर्षक और प्रभावशाली बनाते हैं, जिससे पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

4. अलंकार के उदाहरण क्या हैं?

  • अनुप्रास: “छोटे छोटे दीप जल रहे हैं।”
  • रूपक: “वह सोने की तरह चमक रहा है।” (यहां व्यक्ति की चमक को सोने के समान बताया गया है)

5. अलंकार का प्रयोग क्यों किया जाता है?

अलंकार का प्रयोग भाषा को अधिक सुंदर, प्रभावी और आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है। यह विचारों और भावनाओं को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने में मदद करता है।

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