Sangya In Hindi : Types, Proper Noun, Common Noun

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संज्ञा हिंदी ( Sangya In Hindi ) व्याकरण का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण या भाव का बोध कराता है। यह हमारे दैनिक जीवन की भाषा का आधारभूत तत्व है, क्योंकि हम जब भी किसी चीज़ का उल्लेख करते हैं, वह किसी न किसी संज्ञा से संबंधित होता है। बिना संज्ञा के, वाक्य या भाषा का निर्माण करना असंभव है। चाहे वह कोई व्यक्ति हो, जैसे “राम”, कोई स्थान हो, जैसे “दिल्ली”, कोई वस्तु हो, जैसे “किताब”, या फिर कोई भाव हो, जैसे “खुशी”, सभी का बोध संज्ञा से ही होता है। इस ब्लॉग में, हम संज्ञा की परिभाषा, उसके प्रकार, और व्याकरण में उसकी भूमिका को विस्तार से समझेंगे।

संज्ञा की परिभाषा (Definition of Sangya) : Sangya In Hindi

शब्द जो किसी नाम का बोध कराता है: संज्ञा उस शब्द को कहते हैं, जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण, या भाव का बोध होता है।

व्यक्ति, स्थान, या वस्तु का नाम: संज्ञा Sangya In Hindi किसी विशेष व्यक्ति (जैसे: राम), स्थान (जैसे: दिल्ली), या वस्तु (जैसे: किताब) का नाम होता है।

भौतिक और अमूर्त दोनों का बोध: संज्ञा भौतिक वस्तुओं (जैसे: पेड़) और अमूर्त भावनाओं (जैसे: प्रेम, दुःख) का भी बोध कराती है।

वाक्य का मुख्य हिस्सा: संज्ञा वाक्य में कर्ता, कर्म, या उद्देश्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

नामकरण का आधार: भाषा में किसी भी वस्तु, व्यक्ति या स्थान का नामकरण करने के लिए संज्ञा का प्रयोग होता है।

गुण या भावों का प्रदर्शन: संज्ञा का प्रयोग गुणों (जैसे: ईमानदारी) या भावनाओं (जैसे: खुशी) को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

संज्ञा के प्रकार: संज्ञा के मुख्यतः चार प्रकार होते हैं: व्यक्ति वाचक, जातिवाचक, भाववाचक, और द्रव्यवाचक।

संज्ञा और सर्वनाम का अंतर: संज्ञा का प्रयोग किसी विशेष नाम के लिए होता है, जबकि सर्वनाम उस नाम के स्थान पर प्रयोग किया जाता है।

पुल्लिंग और स्त्रीलिंग: संज्ञा का लिंग भी होता है, जो उसे पुल्लिंग (जैसे: लड़का) या स्त्रीलिंग (जैसे: लड़की) में विभाजित करता है।

वचन में परिवर्तन: संज्ञा एकवचन (जैसे: पुस्तक) और बहुवचन (जैसे: पुस्तकें) के रूप में भी बदलती है, जिससे संख्या का बोध होता है।

 

संज्ञा के प्रकार (Types of Sangya) : Sangya In Hindi

व्यक्ति वाचक संज्ञा (Proper Noun): यह संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का नाम बताती है। उदाहरण: राम, दिल्ली, ताजमहल।

जातिवाचक संज्ञा (Common Noun): यह संज्ञा किसी वर्ग या जाति के नाम का बोध कराती है, जिससे कई वस्तुएं या लोग आते हैं। उदाहरण: लड़का, पुस्तक, शहर।

भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun): यह संज्ञा Sangya In Hindi किसी गुण, अवस्था या भाव का बोध कराती है, जिसे हम देख या छू नहीं सकते। उदाहरण: प्रेम, दुःख, साहस।

द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun): यह संज्ञा किसी पदार्थ या द्रव्य का बोध कराती है, जिसका उपयोग अन्य वस्तुओं के निर्माण में होता है। उदाहरण: सोना, चांदी, लकड़ी।

संगठनवाचक संज्ञा (Collective Noun): यह संज्ञा किसी समूह या संगठन का बोध कराती है। उदाहरण: कक्षा, सेना, झुंड।

संज्ञा के लिंग के आधार पर विभाजन: संज्ञा को लिंग के आधार पर दो भागों में बांटा जाता है: पुल्लिंग (जैसे: लड़का) और स्त्रीलिंग (जैसे: लड़की)।

वचन के आधार पर संज्ञा: संज्ञा को वचन के आधार पर एकवचन (जैसे: पुस्तक) और बहुवचन (जैसे: पुस्तकें) में विभाजित किया जाता है।

प्राणि वाचक संज्ञा (Animate Noun): यह संज्ञा उन वस्तुओं या जीवों का बोध कराती है जो सजीव होते हैं। उदाहरण: मनुष्य, जानवर।

अप्राणि वाचक संज्ञा (Inanimate Noun): यह संज्ञा उन वस्तुओं का बोध कराती है जो निर्जीव होती हैं। उदाहरण: पत्थर, मेज।

संकेतवाचक संज्ञा (Demonstrative Noun): यह संज्ञा वस्तु, व्यक्ति या स्थान को संकेत के रूप में दर्शाती है। उदाहरण: यह, वह, यहां, वहां।

 

व्यक्ति वाचक संज्ञा (Proper Noun) : Sangya In Hindi

विशेष नाम का बोध: व्यक्ति वाचक संज्ञा उस विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का नाम होती है, जिसे पहचान सकते हैं। उदाहरण: राम, दिल्ली, भारत।

सिर्फ एक व्यक्ति या स्थान को दर्शाती है: यह संज्ञा एक ही व्यक्ति या स्थान के लिए प्रयोग होती है, और इसे सामान्य संज्ञा से अलग करती है। उदाहरण: ‘ताजमहल’ एक ही स्थान है, जबकि ‘महल’ कई हो सकते हैं।

पहचान में विशिष्ट: व्यक्ति वाचक संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति या स्थान की पहचान को स्पष्ट करती है। उदाहरण: ‘रवीश’ एक व्यक्ति का नाम है, जबकि ‘लड़का’ किसी भी व्यक्ति के लिए हो सकता है।

अक्षरों की शुरुआत में बड़े अक्षर का प्रयोग: व्यक्ति वाचक संज्ञा की शुरुआत हमेशा बड़े अक्षर से होती है। उदाहरण: ‘भारत’, ‘राम’, ‘गांधी’।

दुनिया भर में अनूठा: यह संज्ञा Sangya In Hindi दुनिया में केवल एक बार ही होती है और किसी और के लिए नहीं होती। उदाहरण: ‘एमेज़न नदी’, ‘सुप्रीम कोर्ट’।

व्यक्ति, स्थान, संस्था, या किसी विशेष चीज़ का नाम: यह संज्ञा व्यक्ति, स्थान, संस्था या किसी विशिष्ट वस्तु का नाम होती है। उदाहरण: ‘नई दिल्ली’, ‘आईटीसी कंपनी’, ‘जॉन’।

किसी के नाम को दर्शाना: व्यक्ति वाचक संज्ञा किसी व्यक्ति का नाम बताती है। उदाहरण: ‘राजीव’, ‘सोनिया’, ‘मंगल सिंह’।

संख्या में अद्वितीय: व्यक्ति वाचक संज्ञा की कोई संख्या नहीं होती, ये केवल एक बार ही होती है। उदाहरण: ‘वॉशिंगटन डी.सी.’ केवल एक स्थान है।

संस्कृत में अन्य नाम: संस्कृत में व्यक्ति वाचक संज्ञा को ‘समान्य संज्ञा’ से अलग माना जाता है क्योंकि इसमें केवल एक व्यक्ति का नाम होता है।

ध्यान आकर्षित करने वाली: यह संज्ञा किसी व्यक्ति या स्थान के नाम के कारण ध्यान आकर्षित करती है और उसे विशिष्ट बनाती है।

 

जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) : Sangya In Hindi

सामान्य नाम का बोध: जातिवाचक संज्ञा किसी वर्ग, जाति या समूह के सभी व्यक्तियों या वस्तुओं के लिए उपयोग की जाती है। उदाहरण: लड़का, लड़की, पेड़, पुस्तक।

किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु का नाम नहीं: यह संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का नाम नहीं बताती, बल्कि एक ही प्रकार की चीज़ों के लिए सामान्य शब्द होता है। उदाहरण: स्कूल (निश्चित स्कूल का नाम नहीं, बल्कि सभी स्कूलों के लिए)।

व्यक्ति वाचक संज्ञा से अलग: व्यक्ति वाचक संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति का नाम होती है, जबकि जातिवाचक संज्ञा सामान्य नाम होती है। उदाहरण: राम (व्यक्ति वाचक) और लड़का (जातिवाचक)।

गुण, प्रकार या वर्ग का प्रतिनिधित्व: जातिवाचक संज्ञा Sangya In Hindi किसी विशेष गुण, प्रकार या वर्ग के लिए होती है। उदाहरण: जानवर (सभी जानवरों के लिए), फूल (सभी प्रकार के फूलों के लिए)।

नाम के साथ ‘the’ का प्रयोग: जातिवाचक संज्ञा के साथ सामान्यतः ‘the’ (अर्थात ‘वह’) का प्रयोग नहीं होता। उदाहरण: वह लड़का स्कूल गया। (लेकिन ‘राम’ के साथ ‘the’ का प्रयोग किया जा सकता है)।

विभिन्न संज्ञाओं की श्रेणियों में वर्गीकृत: जातिवाचक संज्ञा को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि व्यक्ति वाचक संज्ञा (लड़का), वस्तु वाचक संज्ञा (किताब), स्थान वाचक संज्ञा (शहर) आदि।

बहुवचन में बदल सकती है: जातिवाचक संज्ञा को बहुवचन में भी बदल सकते हैं, जिससे एक से अधिक व्यक्तियों, स्थानों या वस्तुओं का बोध होता है। उदाहरण: लड़का → लड़के, पुस्तक → पुस्तकें।

व्यक्ति या वस्तु के सामान्य रूप को दर्शाती है: यह संज्ञा किसी व्यक्ति या वस्तु के सामान्य रूप का दर्शक होती है, बिना किसी विशिष्टता के। उदाहरण: छात्र (सभी छात्र), घर (सभी प्रकार के घर)।

अधिकांश संज्ञाएं जातिवाचक होती हैं: रोज़मर्रा की भाषा में प्रयुक्त अधिकांश संज्ञाएं जातिवाचक होती हैं, जैसे: कार, बच्चा, स्कूल, दरवाजा, आदि।

 

भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) : Sangya In Hindi

अमूर्त नाम का बोध: भाववाचक संज्ञा उस चीज़ का नाम होती है, जिसे हम देख, छू या महसूस नहीं कर सकते, लेकिन जो हमारे विचार या भावनाओं में मौजूद होती है। उदाहरण: प्रेम, दुःख, खुशी।

भाव, गुण या अवस्था का बोध: यह संज्ञा किसी भावना, गुण, स्थिति या अवस्था को व्यक्त करती है। उदाहरण: ईमानदारी, साहस, गरीबी।

सामान्य संज्ञाओं से अलग: आम संज्ञा (जैसे: व्यक्ति, स्थान, वस्तु) से अलग, भाववाचक संज्ञा भौतिक रूप से मौजूद नहीं होती। उदाहरण: शांति, स्वतंत्रता, साहस।

हमारे अनुभवों और विचारों से जुड़ी: भाववाचक संज्ञाएं हमारे अनुभवों, विचारों और भावनाओं से संबंधित होती हैं। उदाहरण: चिंता, उम्मीद, नफरत।

गुण और भावनाओं का प्रतिनिधित्व: यह संज्ञा Sangya In Hindi किसी गुण (जैसे: अच्छाई, बुराई) या भाव (जैसे: खुशी, दुःख) का प्रतिनिधित्व करती है। उदाहरण: सुंदरता, ताकत, प्रेम।

किसी व्यक्ति या वस्तु से संबंधित नहीं: भाववाचक संज्ञा किसी व्यक्ति या वस्तु से सीधा संबंधित नहीं होती, बल्कि मानसिक और भावनात्मक अवस्था को व्यक्त करती है। उदाहरण: सच्चाई, प्रेम, दुःख।

अज्ञेय और निराकार: भाववाचक संज्ञा का कोई स्थूल रूप नहीं होता, यह केवल मानसिक और भावनात्मक विचारों में ही होती है। उदाहरण: चिंता, साहस, दुख।

संज्ञा के अन्य प्रकार से अलग: यह संज्ञा अन्य संज्ञाओं (व्यक्ति वाचक, जातिवाचक) से अलग होती है, क्योंकि यह किसी विशेष वस्तु या स्थान का नाम नहीं देती, बल्कि आंतरिक भावनाओं या गुणों को व्यक्त करती है।

वचन में परिवर्तन: भाववाचक संज्ञाएं भी वचन में बदल सकती हैं, जैसे: प्रेम (एकवचन) → प्रेमों (बहुवचन), लेकिन यह बहुत सामान्य नहीं होता।

कविता और साहित्य में अधिक उपयोग: भाववाचक संज्ञाओं का उपयोग अक्सर कविता, साहित्य और दर्शनशास्त्र में किया जाता है, क्योंकि ये भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने में सहायक होती हैं।

द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) : Sangya In Hindi

पदार्थ का नाम: द्रव्यवाचक संज्ञा उस पदार्थ का नाम होती है, जिससे अन्य वस्तुएं बनाई जाती हैं या जिनका उपयोग निर्माण में होता है। उदाहरण: सोना, चांदी, लकड़ी।

सभी वस्तुओं का आधार: यह संज्ञा उन चीजों को बताती है जो किसी वस्तु के निर्माण में प्रयोग होती हैं। उदाहरण: पानी, मिट्टी, लोहा।

अमूर्त नहीं, लेकिन अज्ञेय: द्रव्यवाचक संज्ञा वह वस्तुएं होती हैं जिन्हें हम देख सकते हैं, लेकिन उनका आकार और रूप निश्चित नहीं होता। उदाहरण: तेल, दूध।

बिना आकार की चीजें: द्रव्यवाचक संज्ञा का कोई निश्चित आकार नहीं होता, यह किसी विशेष वस्तु के रूप में नहीं होती, बल्कि वह एक रूपांतरशील पदार्थ होता है। उदाहरण: रेत, हवा, आटा।

गुणसूत्र का अस्तित्व नहीं: द्रव्यवाचक संज्ञा में कोई विशेष गुणसूत्र (specific identity) नहीं होता, यह किसी खास वस्तु को व्यक्त नहीं करती। उदाहरण: सोने में कोई विशेष रूप नहीं होता, लेकिन यह ‘सोना’ ही कहलाता है।

विभिन्न रूपों में बदल सकती है: द्रव्यवाचक संज्ञा के विभिन्न रूप होते हैं, जैसे तरल (पानी, दूध) और ठोस (लोहा, रेत)। उदाहरण: जल (तरल), सोना (ठोस)।

किसी विशेष वस्तु का नाम नहीं देती: यह संज्ञा किसी विशेष वस्तु का नाम नहीं देती, बल्कि उस वस्तु के निर्माण में उपयोग होने वाले पदार्थ का नाम होती है। उदाहरण: रंग, चीनी, दूध।

वह पदार्थ जो हमारी पांचों इन्द्रियों से पहचाना जा सकता है: द्रव्यवाचक संज्ञा वह वस्तु होती है जिसे हम अपनी इंद्रियों (देखने, छूने, सूंघने, चखने, सुनने) से पहचान सकते हैं। उदाहरण: धुआं, अग्नि, गुलाब की खुशबू।

विभिन्न रूपों में एकत्रित होती है: द्रव्यवाचक संज्ञा किसी वस्तु के रूप में एकत्रित हो सकती है, जैसे पानी का गिलास, मिट्टी की किल्ली। उदाहरण: लकड़ी, कागज।

संगठनवाचक संज्ञा (Collective Noun) : Sangya In Hindi

समूह या इकाई का नाम: संगठनवाचक संज्ञा  Sangya In Hindi उस समूह या इकाई का नाम होती है, जिसमें कई व्यक्ति या वस्तुएं एक साथ जुड़ी होती हैं। उदाहरण: सेना, परिवार, दल।

एक ही इकाई के रूप में प्रयोग: यह संज्ञा समूह के एक ही इकाई के रूप में काम करती है, जैसे ‘कक्षा’ में कई छात्र होते हैं, लेकिन कक्षा को एक इकाई माना जाता है। उदाहरण: झुंड, मंडल।

सामान्य संज्ञाओं से अलग: संगठनवाचक संज्ञा सामान्य संज्ञाओं से अलग होती है क्योंकि यह किसी एक व्यक्ति या वस्तु के बजाय समूह को दर्शाती है। उदाहरण: कॉलेज (कई छात्र), टीम (कई खिलाड़ी)।

सामूहिक रूप में प्रयोग: इसे हमेशा समूह के रूप में प्रयोग किया जाता है और इसके साथ बहुवचन या एकवचन का प्रयोग विशेष रूप से निर्भर करता है। उदाहरण: सेना (एकवचन), टीम (एकवचन)।

व्यक्ति, स्थान या वस्तु के समूह को दर्शाता है: यह किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु के समूह को नाम देता है, जैसे ‘पुस्तकालय’ (किताबों का संग्रह), ‘मंडल’ (संगठित लोग)।

प्राकृतिक और मानव निर्मित समूह: संगठनवाचक संज्ञा प्राकृतिक या मानव निर्मित दोनों प्रकार के समूहों को दर्शा सकती है। उदाहरण: झुंड (प्राकृतिक), कर्मचारी वर्ग (मानव निर्मित)।

किसी एक इकाई के रूप में कार्य करती है: जब हम संगठनवाचक संज्ञा का प्रयोग करते हैं, तो हम उसे एक समूह के रूप में समझते हैं। उदाहरण: ‘बॉक्स’ में कई किताबें होती हैं, लेकिन ‘बॉक्स’ को एक इकाई के रूप में लिया जाता है।

बहुत सारे सदस्य एकत्र होते हैं: इसमें कई सदस्य एकत्र होते हैं, और इसका उपयोग उस समय किया जाता है जब हम समूह के बारे में बात करना चाहते हैं। उदाहरण: संगठन, झुंड, जत्था।

संगठित और अनुशासित समूह: संगठनवाचक संज्ञाएं अक्सर ऐसे समूहों को दर्शाती हैं, जो किसी न किसी रूप में एकत्रित या संगठित होते हैं। उदाहरण: संगठन, परिषद, सेना।

संज्ञा और सर्वनाम का अंतर (Difference between Sangya and Sarvanam)

विभाग संज्ञा (Noun) सर्वनाम (Pronoun)
परिभाषा संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव का नाम होती है। सर्वनाम वह शब्द है, जो संज्ञा की जगह पर प्रयोग होता है।
कार्य संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु का नाम बताती है। सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होता है।
उदाहरण राम, दिल्ली, पुस्तक, प्रेम वह, मैं, तुम, यह, वे
प्रकार संज्ञा के प्रकार होते हैं: व्यक्ति वाचक, जातिवाचक, भाववाचक, द्रव्यवाचक, संगठनवाचक आदि। सर्वनाम के प्रकार होते हैं: पुरुषवाचक, आत्मवाचक, प्रश्नवाचक, नकारात्मक, निश्चित आदि।
उपयोग संज्ञा किसी चीज या व्यक्ति को सीधे नाम देकर पहचानती है। सर्वनाम किसी विशेष नाम का पुनरावृत्ति करने के लिए प्रयोग होता है।
उदाहरण वाक्य राम स्कूल जाता है। वह स्कूल जाता है।
रूपांतरण संज्ञा को बहुवचन में बदला जा सकता है। सर्वनाम भी संज्ञा के रूप में बदल सकता है, जैसे ‘वह’ → ‘वे’।
विवरण संज्ञा का प्रयोग विशेष रूप से वस्तु, स्थान, व्यक्ति या घटना के लिए किया जाता है। सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर या संदर्भ में होता है।
भाव/स्थिति संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु की पहचान देती है। सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर कर भाव व्यक्त करता है।
रूप संज्ञा स्थायी और स्पष्ट रूप में होती है। सर्वनाम वाक्य में संज्ञा की जगह बदल सकता है।

Freqently Asked Questions (FAQs)

1. ( Sangya in Hindi ) संज्ञा क्या होती है?

संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव का नाम होती है। जैसे: राम, दिल्ली, पुस्तक।

2. सर्वनाम क्या होता है?

सर्वनाम वह शब्द होता है, जो संज्ञा की जगह पर प्रयोग होता है। जैसे: वह, मैं, तुम।

3. संज्ञा और सर्वनाम में क्या अंतर है?

संज्ञा किसी व्यक्ति या वस्तु का नाम होती है, जबकि सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होता है।

4. क्या संज्ञा के प्रकार होते हैं?

हां, संज्ञा के कई प्रकार होते हैं: व्यक्ति वाचक, जातिवाचक, भाववाचक, द्रव्यवाचक, संगठनवाचक आदि।

5. क्या सर्वनाम के प्रकार होते हैं?

हां, सर्वनाम के प्रकार होते हैं: पुरुषवाचक, आत्मवाचक, प्रश्नवाचक, नकारात्मक आदि।

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