‘संसार’ शब्द का तात्पर्य सम्पूर्ण विश्व (Sansar ka Paryayvachi Shabd) या जगत से होता है। यह एक व्यापक अर्थ वाला शब्द है, जो हमारे चारों ओर के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक तत्वों और मानव समाज को समाहित करता है। संसार के कई पर्यायवाची शब्द हैं, जैसे विश्व, जगत, पृथ्वी, लोक, धरा, भूमंडल, आदि। ये सभी शब्द संसार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उसके विविध स्वरूपों को अभिव्यक्त करते हैं। इन शब्दों का प्रयोग साहित्य, कविता, और रोज़मर्रा की भाषा में विशेष अर्थ और गहराई प्रदान करने के लिए किया जाता है।
- Sansar ka Paryayvachi Shabd : Meaning
- Sansar ka Paryayvachi Shabd : Cultural Reference
- Sansar ka Paryayvachi Shabd : Conceptual Meaning
- Sansar ka Paryayvachi Shabd : Major Synonyms
- Sansar ka Paryayvachi Shabd : Other Synonyms
- Sansar ka Paryayvachi Shabd : Difference
- Sansar ka Paryayvachi Shabd : Usage
- Sansar ka Paryayvachi Shabd : Use of Synonyms
- Frequently Asked Question (FAQs)
Sansar ka Paryayvachi Shabd : Meaning
संसार के पर्यायवाची शब्द का अर्थ :
- विश्व – इसका अर्थ समूचा ब्रह्मांड या पूरी दुनिया होता है। यह संसार के भौतिक और आध्यात्मिक दोनों रूपों को दर्शाता है।
- जगत – जगत का तात्पर्य सजीव और निर्जीव वस्तुओं से भरे हुए इस संसार से है। इसका प्रयोग विशेष रूप से जीवन की अस्थिरता और परिवर्तनशीलता को दिखाने के लिए किया जाता है।
- भू – इसका अर्थ पृथ्वी या भूमि से है। यह संसार का वह हिस्सा है जो भौतिक रूप में धरती से संबंधित होता है।
- लोक – यह शब्द विभिन्न लोकों (जैसे पृथ्वीलोक, स्वर्गलोक) का संकेत करता है, जो मानव जीवन और उसकी स्थितियों को दर्शाते हैं।
- धरा – इसका अर्थ धरती या पृथ्वी से होता है। यह शब्द प्रकृति और उसके विभिन्न रूपों को दर्शाने के लिए इस्तेमाल होता है।
- पृथ्वी – पृथ्वी का अर्थ है वह ग्रह जहाँ हम रहते हैं। यह संसार के भौतिक और प्राकृतिक पहलुओं को प्रस्तुत करता है।
- भूमंडल – यह शब्द पूरी पृथ्वी के विस्तार या सम्पूर्ण भूगोल को दर्शाता है, जिसमें सभी प्राकृतिक घटक शामिल होते हैं।
- अखिल – अखिल का अर्थ सम्पूर्ण या सर्वसमावेशी होता है, जो सम्पूर्ण संसार या समस्त ब्रह्मांड को इंगित करता है।
- चराचर – यह शब्द चल और अचल वस्तुओं से बने इस जगत को दर्शाता है, जिसमें सभी जीवित और निर्जीव तत्व शामिल होते हैं।
- त्रिलोक – त्रिलोक का अर्थ है तीन लोकों का समूह: स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल। यह संसार के विभिन्न स्तरों को समझाने के लिए उपयोग किया जाता है।
Sansar ka Paryayvachi Shabd : Cultural Reference
संसार के पर्यायवाची शब्दों का सांस्कृतिक संदर्भ :
- विश्व (Vishwa) – भारतीय दर्शन में ‘विश्व’ शब्द का व्यापक संदर्भ है, जो केवल भौतिक जगत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड, आत्मा और आध्यात्मिक चेतना को भी समाहित करता है। इसे संपूर्ण सृष्टि का प्रतीक माना जाता है।
- जगत (Jagat) – ‘जगत’ शब्द भारतीय संस्कृति में जीवन की अस्थिरता और परिवर्तनशीलता का प्रतीक है। भगवद गीता में इसका उल्लेख ‘जगत मिथ्या’ के रूप में होता है, जो यह बताता है कि संसार क्षणभंगुर है और केवल आत्मा सत्य है।
- भू (Bhu) – भारतीय संस्कृति में ‘भू’ का प्रयोग धरती माता के रूप में होता है। यह पृथ्वी को पोषण देने वाली शक्ति के रूप में देखा जाता है, जिसे हिन्दू धर्म में देवी के रूप में पूजनीय माना गया है।
- लोक (Lok) – ‘लोक’ शब्द भारतीय पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह तीन लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) को दर्शाता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक कथाओं में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
- धरा (Dhara) – ‘धरा’ का अर्थ पृथ्वी से है, और भारतीय संस्कृति में इसे जीवनदायिनी शक्ति के रूप में माना जाता है। यह प्रकृति के संरक्षण और उसके सम्मान को दर्शाता है, जिसे हिंदू धर्म में विभिन्न त्योहारों और अनुष्ठानों के माध्यम से पूजा जाता है।
- पृथ्वी (Prithvi) – ‘पृथ्वी’ शब्द भारतीय संस्कृति में माता के रूप में प्रतिष्ठित है। पृथ्वी को ‘भूमि देवी’ के रूप में पूजने की परंपरा है, जिसे पोषण और जीवन देने वाली शक्ति के रूप में देखा जाता है।
- भूमंडल (Bhoomandal) – यह शब्द सांस्कृतिक रूप से पृथ्वी और उसके सम्पूर्ण विस्तार को दर्शाता है। यह वैदिक और पुराणिक ग्रंथों में भूगोल और संसार की संरचना के रूप में वर्णित है।
- अखिल (Akhil) – ‘अखिल’ का सांस्कृतिक संदर्भ सम्पूर्णता से है। इसे सभी भौतिक और आध्यात्मिक तत्वों के सम्मिलन के रूप में देखा जाता है, जो सृष्टि की सर्वव्यापकता को व्यक्त करता है।
- चराचर (Charachar) – भारतीय संस्कृति में ‘चराचर’ शब्द का उपयोग जगत के सभी चल और अचल वस्तुओं के लिए किया जाता है। यह विचार प्रकृति और जीव-जंतु के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है, जो सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
- त्रिलोक (Trilok) – ‘त्रिलोक’ का सांस्कृतिक महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं में विशेष रूप से देखने को मिलता है। त्रिलोक (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) की अवधारणा धार्मिक ग्रंथों में प्रमुखता से वर्णित है, जो संसार के भौतिक और आध्यात्मिक विभाजन को दर्शाती है।
Sansar ka Paryayvachi Shabd : Conceptual Meaning
संसार के पर्यायवाची शब्दों का वैचारिक अर्थ :
- विश्व (Vishwa) – वैचारिक रूप से ‘विश्व’ का अर्थ सम्पूर्ण सृष्टि से है, जो न केवल भौतिक संसार को बल्कि ब्रह्मांड की अदृश्य शक्तियों और चेतना को भी समाहित करता है। यह व्यापकता और अनंतता का प्रतीक है।
- जगत (Jagat) – ‘जगत’ का वैचारिक अर्थ परिवर्तनशीलता और अस्थायित्व से जुड़ा है। यह संसार के अस्थायी स्वभाव को दर्शाता है, जहाँ जीवन और मृत्यु, सुख और दुःख निरंतर चक्र में होते रहते हैं।
- भू (Bhu) – ‘भू’ का वैचारिक अर्थ पृथ्वी के भौतिक अस्तित्व से है। यह धरती को स्थिरता और पोषण देने वाली शक्ति के रूप में दर्शाता है, जो जीवन के आधार को प्रकट करता है।
- लोक (Lok) – ‘लोक’ शब्द वैचारिक रूप से विभिन्न अस्तित्व के स्तरों को दर्शाता है, जैसे स्वर्गलोक, मृत्युलोक (पृथ्वी) और पाताललोक। यह भौतिक और आध्यात्मिक संसार के बीच के संबंधों को दर्शाता है।
- धरा (Dhara) – ‘धरा’ वैचारिक रूप से पृथ्वी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जहाँ जीवन उत्पन्न होता है और उसका पोषण होता है। यह धरती के प्रति सम्मान और उसके संरक्षण की वैचारिकता को उजागर करता है।
- पृथ्वी (Prithvi) – ‘पृथ्वी’ का वैचारिक अर्थ जीवनदायिनी शक्ति से जुड़ा है। यह जीवों के निवास स्थान के रूप में धरती के महत्त्व को दर्शाता है और इसे जीवित रहने के आधार के रूप में देखा जाता है।
- भूमंडल (Bhoomandal) – ‘भूमंडल’ का वैचारिक अर्थ सम्पूर्ण पृथ्वी और उसके चारों ओर फैले भौतिक जगत से है। यह पृथ्वी के विभिन्न तत्वों और उसके विस्तार को दर्शाता है।
- अखिल (Akhil) – ‘अखिल’ का वैचारिक अर्थ सम्पूर्णता और सर्वव्यापकता से जुड़ा है। यह सृष्टि के हर तत्व, हर जीव, और हर अस्तित्व को एक इकाई के रूप में देखता है, जो संपूर्णता की धारणा को व्यक्त करता है।
- चराचर (Charachar) – ‘चराचर’ का वैचारिक अर्थ जगत के सभी चल (जीवित) और अचल (निर्जीव) वस्तुओं से है। यह संसार की विविधता और उसमें समाहित सभी तत्वों के आपसी संबंध को दर्शाता है।
- त्रिलोक (Trilok) – ‘त्रिलोक’ का वैचारिक अर्थ तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) के बीच के संतुलन और उनके आपसी संपर्क से है। यह भौतिक और आध्यात्मिक जगत के समन्वय और उनके प्रभावों को उजागर करता है।
Sansar ka Paryayvachi Shabd : Major Synonyms
संसार के प्रमुख पर्यायवाची शब्द :
- विश्व (Vishwa) – यह संसार का सबसे सामान्य पर्यायवाची शब्द है, जो सम्पूर्ण पृथ्वी और ब्रह्मांड को दर्शाता है। यह सभी जीवित और निर्जीव वस्तुओं को समाहित करता है और समग्रता का प्रतीक है।
- जगत (Jagat) – ‘जगत’ का अर्थ जीवित और निर्जीव वस्तुओं से बना यह संसार है। यह संसार की अस्थिरता और अनित्यता को इंगित करता है और अक्सर धर्म और दर्शन में उपयोग होता है।
- भू (Bhu) – ‘भू’ का अर्थ धरती या भूमि से है। यह पृथ्वी के भौतिक पक्ष को दर्शाता है और इसे जीवन का आधार माना जाता है।
- लोक (Lok) – ‘लोक’ का अर्थ संसार या जगत से होता है, लेकिन यह विशेष रूप से विभिन्न लोकों (जैसे स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक) को दर्शाने के लिए भी प्रयोग होता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- धरा (Dhara) – ‘धरा’ का अर्थ धरती से है। यह पृथ्वी और उसके सभी प्राकृतिक तत्वों का प्रतीक है, जिसमें पर्वत, नदी, समुद्र आदि आते हैं।
- पृथ्वी (Prithvi) – ‘पृथ्वी’ शब्द धरती ग्रह का प्रतीक है, जहाँ जीवन मौजूद है। इसे संस्कृत साहित्य और धार्मिक ग्रंथों में भी माता पृथ्वी के रूप में पूजनीय माना गया है।
- भूमंडल (Bhoomandal) – ‘भूमंडल’ का अर्थ सम्पूर्ण पृथ्वी या उसका विस्तार है। यह शब्द भौगोलिक संदर्भों में अधिक प्रयोग होता है, जिसमें पृथ्वी के सभी हिस्सों को समाहित किया जाता है।
- अखिल (Akhil) – ‘अखिल’ का अर्थ सम्पूर्णता से है। यह शब्द पूरे संसार और ब्रह्मांड की समग्रता का प्रतीक है और सृष्टि के हर हिस्से को एक इकाई के रूप में प्रस्तुत करता है।
- चराचर (Charachar) – ‘चराचर’ का अर्थ चल (जीवित) और अचल (निर्जीव) दोनों प्रकार की वस्तुओं से है। यह शब्द संसार की विविधता और उसके हर जीव और वस्तु को शामिल करता है।
- त्रिलोक (Trilok) – ‘त्रिलोक’ का अर्थ तीन लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) से है। यह धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और इसे संसार के तीन भागों में विभाजित किया जाता है, जो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों रूपों को दर्शाते हैं।
Sansar ka Paryayvachi Shabd : Other Synonyms
संसार के अन्य पर्यायवाची शब्द :
- नभ (Nabh) – नभ का अर्थ आकाश या अंतरिक्ष से होता है। यह शब्द संसार के ऊपर विस्तारित अनंत आकाश को दर्शाता है और इसका उपयोग विशेष रूप से काव्य और साहित्य में होता है।
- सृष्टि (Srishti) – सृष्टि का अर्थ है सृजन या निर्माण। यह शब्द संसार के निर्माण और उसके विस्तार को इंगित करता है, जिसमें सभी जीव, प्रकृति और जगत शामिल हैं। यह धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- भुवन (Bhuvan) – ‘भुवन’ का अर्थ संसार या लोक से है। यह पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल सहित सभी लोकों को संदर्भित करता है, और इसे विशेष रूप से धार्मिक ग्रंथों में उपयोग किया जाता है।
- आलम (Aalam) – ‘आलम’ का अर्थ संसार या दुनिया से है। यह उर्दू और फारसी भाषाओं में भी प्रचलित है और इसका उपयोग साहित्य में व्यापक रूप से किया जाता है।
- धरणी (Dharani) – ‘धरणी’ का अर्थ धरती से है। यह शब्द संसार की प्राकृतिक और भौतिक धारा को दर्शाता है, जिसमें पेड़-पौधे, नदियाँ और पर्वत शामिल होते हैं।
- वसुधा (Vasudha) – ‘वसुधा’ का अर्थ सम्पूर्ण पृथ्वी या धरती से है। यह पृथ्वी के भौतिक और प्राकृतिक स्वरूप को व्यक्त करता है और इसे जीवनदायिनी माना जाता है।
- वसुधारा (Vasudhara) – ‘वसुधारा’ का अर्थ पृथ्वी के सतह और उसके प्राकृतिक स्रोतों से है। यह शब्द पृथ्वी की सुंदरता और विविधता को व्यक्त करने के लिए उपयोग होता है।
- भूतल (Bhootal) – ‘भूतल’ का अर्थ धरती की सतह से है। यह संसार के भौतिक पक्ष को दर्शाता है, जो जमीन और उसके प्राकृतिक तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।
- पर्यवेश (Parayavesh) – ‘पर्यवेश’ का अर्थ है चारों ओर का वातावरण या परिवेश। यह शब्द संसार के चारों ओर के वातावरण और उसमें मौजूद हर चीज़ को दर्शाता है।
- त्रिभुवन (Tribhuvan) – ‘त्रिभुवन’ का अर्थ तीन लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) से है। यह हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और इसे संसार के भौतिक और आध्यात्मिक विभाजन के रूप में देखा जाता है।
Sansar ka Paryayvachi Shabd : Difference
संसार का पर्यायवाची शब्द | अर्थ | मुख्य अंतर |
---|---|---|
विश्व (Vishwa) | सम्पूर्ण ब्रह्मांड | यह सबसे व्यापक शब्द है जो पूरे ब्रह्मांड को समाहित करता है। |
जगत (Jagat) | परिवर्तनशील संसार | जगत अस्थायी और परिवर्तनशील संसार को दर्शाता है। |
भू (Bhu) | धरती, भूमि | यह विशेष रूप से पृथ्वी या भौतिक धरती का प्रतीक है। |
लोक (Lok) | संसार, विभिन्न लोक | यह शब्द भौतिक और आध्यात्मिक लोकों (जैसे स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक) को संदर्भित करता है। |
धरा (Dhara) | धरती | धरा विशेष रूप से पृथ्वी के प्राकृतिक रूप को दर्शाता है, जिसमें नदियाँ, पर्वत आदि शामिल हैं। |
पृथ्वी (Prithvi) | जीवनदायिनी धरती | पृथ्वी को जीवनदायिनी शक्ति के रूप में देखा जाता है, जो जीवों के निवास स्थान के रूप में महत्व रखती है। |
भूमंडल (Bhoomandal) | पृथ्वी का विस्तृत क्षेत्र | यह पृथ्वी के विस्तृत भूगोल को दर्शाता है, जिसमें सारे स्थल और जल शामिल होते हैं। |
अखिल (Akhil) | सम्पूर्णता | अखिल का अर्थ है संपूर्णता, जिसमें समस्त सृष्टि और ब्रह्मांड की समग्रता शामिल होती है। |
चराचर (Charachar) | चल और अचल वस्तुएँ | यह शब्द संसार के सभी जीवित (चल) और निर्जीव (अचल) वस्तुओं को सम्मिलित करता है। |
त्रिलोक (Trilok) | तीन लोक (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) | त्रिलोक का अर्थ धार्मिक दृष्टिकोण से तीनों लोकों के विभाजन से है। |
Sansar ka Paryayvachi Shabd : Usage
संसार का पर्यायवाची शब्द | अर्थ | उपयोग का उदाहरण |
---|---|---|
विश्व (Vishwa) | सम्पूर्ण ब्रह्मांड | “विश्व के सभी जीवों का अस्तित्व एक अद्भुत रहस्य है।” |
जगत (Jagat) | परिवर्तनशील संसार | “इस जगत में हर चीज़ का अंत होता है, इसलिए हमें हर क्षण का मूल्य समझना चाहिए।” |
भू (Bhu) | धरती, भूमि | “भू का संरक्षण हमारे भविष्य के लिए आवश्यक है।” |
लोक (Lok) | संसार, विभिन्न लोक | “लोकों का ज्ञान हमारी संस्कृति को समृद्ध करता है।” |
धरा (Dhara) | धरती | “धरा पर हर जीव का अपना स्थान है।” |
पृथ्वी (Prithvi) | जीवनदायिनी धरती | “पृथ्वी की सुंदरता हमें उसकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करती है।” |
भूमंडल (Bhoomandal) | पृथ्वी का विस्तृत क्षेत्र | “भूमंडल पर हर स्थान की अपनी विशेषता होती है।” |
अखिल (Akhil) | सम्पूर्णता | “अखिल सृष्टि में सभी जीवों का महत्व है।” |
चराचर (Charachar) | चल और अचल वस्तुएँ | “इस चराचर संसार में हर चीज़ का अपना महत्व है।” |
त्रिलोक (Trilok) | तीन लोक (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) | “त्रिलोक के संतुलन को बनाए रखना आवश्यक है।” |
Sansar ka Paryayvachi Shabd : Use of Synonyms
संसार का पर्यायवाची शब्द | अर्थ | उपयोग का संदर्भ | उपयोग की विशेषता |
---|---|---|---|
विश्व (Vishwa) | सम्पूर्ण ब्रह्मांड | “विश्व की सृष्टि का रहस्य” | यह शब्द ज्ञान और अनंतता का प्रतीक है। |
जगत (Jagat) | परिवर्तनशील संसार | “जगत में सब कुछ बदलता है” | यह शब्द अस्थिरता और परिवर्तन को दर्शाता है। |
भू (Bhu) | धरती, भूमि | “भू का संरक्षण” | यह शब्द पृथ्वी के भौतिक पक्ष को दर्शाता है। |
लोक (Lok) | संसार, विभिन्न लोक | “हिंदू धर्म में तीन लोक” | यह धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भ में महत्वपूर्ण है। |
धरा (Dhara) | धरती | “धरा पर जीवन का अस्तित्व” | यह शब्द प्राकृतिकता और जीवन के संबंध को दर्शाता है। |
पृथ्वी (Prithvi) | जीवनदायिनी धरती | “पृथ्वी की सुंदरता” | यह शब्द धरती के प्रति सम्मान व्यक्त करता है। |
भूमंडल (Bhoomandal) | पृथ्वी का विस्तृत क्षेत्र | “भूमंडल के सभी हिस्से” | यह भूगोलिक संदर्भ में उपयोगी है। |
अखिल (Akhil) | सम्पूर्णता | “अखिल सृष्टि का महत्व” | यह शब्द समग्रता और एकता को दर्शाता है। |
चराचर (Charachar) | चल और अचल वस्तुएँ | “चराचर संसार में विविधता” | यह शब्द संसार की विविधता को प्रदर्शित करता है। |
त्रिलोक (Trilok) | तीन लोक (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) | “त्रिलोक के संतुलन का महत्व” | यह धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। |
Freqently Asked Questions (FAQs)
Q1: संसार का पर्यायवाची शब्द क्या होता है?
संसार का पर्यायवाची शब्द ऐसे शब्द होते हैं जो ‘संसार’ के समान अर्थ व्यक्त करते हैं, जैसे ‘जगत’, ‘विश्व’, ‘लोक’, ‘धरा’, आदि।
Q2: संसार के प्रमुख पर्यायवाची शब्द कौन-कौन से हैं?
प्रमुख पर्यायवाची शब्दों में ‘विश्व’, ‘जगत’, ‘लोक’, ‘भू’, ‘पृथ्वी’, ‘धरा’, ‘अखिल’, ‘भूमंडल’, ‘चराचर’, और ‘त्रिलोक’ शामिल हैं।
Q3: इन पर्यायवाची शब्दों का उपयोग कैसे किया जाता है?
ये शब्द साहित्य, कविता, धार्मिक ग्रंथों और सामान्य बातचीत में विभिन्न संदर्भों में उपयोग किए जाते हैं। जैसे, “इस जगत में हर चीज़ का अंत होता है।”
Q4: क्या सभी पर्यायवाची शब्द समान अर्थ रखते हैं?
नहीं, जबकि सभी शब्द ‘संसार’ का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन प्रत्येक का एक विशेष अर्थ और संदर्भ होता है, जैसे ‘जगत’ का अर्थ परिवर्तनशीलता है जबकि ‘पृथ्वी’ का अर्थ जीवनदायिनी धरती है।
Q5: क्या पर्यायवाची शब्दों का चयन संदर्भ पर निर्भर करता है?
हाँ, संदर्भ के अनुसार उपयुक्त पर्यायवाची शब्द का चयन करना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए, धार्मिक संदर्भ में ‘त्रिलोक’ का उपयोग उपयुक्त होगा।